Noida Twin Tower: बिल्डिंग ध्वस्त होने के छह माह बाद भी नहीं हट पाया मलबा, लोगों के सामने आई नई समस्या
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Noida Twin Tower: बिल्डिंग ध्वस्त होने के छह माह बाद भी नहीं हट पाया मलबा, लोगों के सामने आई नई समस्या

Noida Twin Tower: नोएडा में स्थित भ्रष्टाचार की इमारत Twin Tower ध्वसत करते समय वादा किया गया था कि 90 दिनों में मलबे को हटा लिया जाएगा, लेकिन इमारत को ढहे 6 महीने हो गए हैं मगर सीमेंट का कई फिट लंबा सफेद पहाड़ वहां अभी तक खड़ा हुआ है. 

Noida Twin Tower: बिल्डिंग ध्वस्त होने के छह माह बाद भी नहीं हट पाया मलबा, लोगों के सामने आई नई समस्या

नई दिल्लीः आपको नोएडा में स्थित भ्रष्टाचार की इमारत Twin Tower तो याद होगी, जिसे आज से 6 महीने पहले 28 अगस्त को ध्वसत किया गया था. इमारत के ध्वस्तीकरण की तरह ही आपको यह भी याद होगा कि इमारत को ध्वसत करते समय वादा किया गया था कि बस 90 दिनों में इस इमारत के ध्वसत होने की वजह से फैले मलबे को हटा लिया जाएगा और यहाँ पार्क का निर्माण किया जाएगा. इमारत को ढहे लगभग 6 महीने हो गए हैं और हो सकता है कि आप में से ज्यादातर लोगों को लगता भी होगा कि अब तो सब ठीक हो गया होगा, लोग खुशहाल होंगे.

क्योंकि इमारत के गिरने पर तालियां बजाने की तस्वीरें तो आपने देखी ही थी, लेकिन जैसा आप सोच रहे हैं स्थिति उससे बिल्कुल उलट है. आज भ्रष्टाचार की इमारत Twin Tower के ध्वसत होने के लगभग 6 महीने बाद, सीमेंट का कई फिट लंबा एक सफेद पहाड़ खड़ा हुआ है और जो काम 90 दिनों में पूरा करने का प्रचार किया गया था वो इससे दोगुने दिनों के बाद भी पूरा नहीं हुआ है. मलबा जस का तस पड़ा हुआ है. मलबा हटाने का काम महीनों से रुका हुआ है.

- ऑक्सीजन वाली नहीं सीमेंट वाली सांस ले रहें हैं लोग

लेकिन, इस पूरी लेट लतीफी ने आसपास रहने वाले लोगों को जरूर सांस का रोगी बना दिया है, जिसमें लोग Oxygen की जगह सीमेंट वाली सांस ले रहे हैं और स्थिति कब ठीक होगी इसका भी कुछ पता नहीं है. क्योंकि पिछले हफ्ते ही नोएडा ऑथोरिटी ने EDIFICE नाम की कंपनी से मलबा हटाने का काम 45 दिनों में पूरा करने के लिए कहा था, लेकिन सुपरटेक ट्विन टावर का मलबा हटाने वाली परियोजना के साथ जुड़े EDIFICE के अधिकारी मयूर मेहता ने ज़ी न्यूज़ के साथ फोन पर बातचीत करते हुए काम में देरी की कई दलीले दी.

अब आपको यह भी बताते चले कि Edifice नाम की यह कंपनी मुफ्त में मलबा नहीं हटा रही है, बल्कि मलबे से निकलने वाला करोड़ो की कीमत का सैकड़ों टन लोहा भी इस कंपनी होगा. इतना ही नहीं इमारत के ढहने के बाद जब मलबा हटाने का काम शुरू हुआ, तो लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी बनी मशीनों की तेज आवाज जो सामान्य से कई गुना ज्यादा थी, इसने कई लोगों को MIGRANE का रोगी भी बना दिया, लेकिन काम रुकने के बाद आज लोग सीमेंट  वाली सांस ले रहे हैं और हांफ रहे हैं.

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लोगों का रहन सहन कितना खराब हो चुका है इसकी गवाही तो घरों की खिड़की पर लगे कवर दे रहे हैं जो आज सीमेंट वाली हवा में काले हो चुके हैं. अब जरा सोचिए जो सीमेंट वाली हवा कपड़े को 6 माहीने में काला कर चुकी है उसने लोगों का क्या हाल किया होगा. मलबा 6 महीने बाद भी पड़ा होने की वजह से सोसाइटी में रहने वाले दो टावर के लोग सड़क विहीन हो गए हैं और बीते 6 माहीने से बेसमेंट पार्किंग का प्रयोग आने-जाने के लिए कर रहे हैं,

लेकिन, डर यह है कि पार्किंग की लंबाई इतनी छोटी है कि अगर कल को कोई हादसा हो गया तो एम्बुलेंस या Fire ब्रिगेड तो टावर के आसपास भी नहीं भटक पाएगी. डॉक्टरों की मानें तो लंबे समय तक सीमेंट वाली हवा में सांस लेने की वजह से हो सकता है कई निवासी आज SILICOSIS से पीड़ित हो गए हैं, जिससे आम तौर पर कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूर पीड़ित हो जाते हैं. ऐसे में सलाह यही है कि पानी ज्यादा पिएं और मास्क लगा कर रखें. जैसा आज इस बैनर पर EDIFICE का नाम जर्जर अवस्था में है, वैसे ही आसपास रहने वाले हजारों लोगों की अवस्था है. ऐसे में आंख मूंद कर बैठने के लिए मशहूर नोएडा अथॉरिटी को अगर हमारी यह खबर दिख गई हो, तो कम से कम लोगों का जीवन ठीक करने के लिए कदम उठाए जिससे लोग Oxygen वाली सांस ले सकें, सीमेंट वाली नहीं.

रिपोर्टरः अनुज तोमर

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