Nirbhaya Gang Rape: दिल्ली में निर्भया के साथ हुई दरिंदगी को आज 10 साल पूरे. निर्भया केस में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था जिन्हें फांसी दी जा चुकी है. मगर आज भी एक सवाल है कि क्या एक दशक के बाद महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं?
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पुरुषोत्तम/नई दिल्लीः आज ही के दिन साल 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक ऐसी घटना घटी थी जिसे याद कर आज भी लोग कांप उठते हैं. 16 दिसंबर, 2012 की रात एक छात्रा से चलती बस में 6 दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी. उस घटना को हुए आज एख दशक का समय पूरा हो चुका है, लेकिन आज भी घटना को याद कर हर व्यक्ति सिहर जाता है. इस घटना को आज पूरे 10 साल हो चुके हैं, जिस लड़की के साथ ये दर्दनाक घटना हुई वह आज हमारे बीच में नहीं है, इस बात का हर देशवासी को दुख है.
लेकिन, खुशी इस बात की है कि जिन दरिंदों ने इस वारदात को अंजाम दिया था उन्हें फांसी दी जा चुकी है. खैर इन सब के बाद आज भी सवाल है कि क्या एक दशक के बाद आज महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं? निर्भया केस में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक आरोपी नाबालिक था जिसे 3 साल तक बाल सुधार गृह में भेजने के बाद कोर्ट के आदेश पर रिहा कर दिया गया था. वहीं मुख्य आरोपी राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी.
बाकी बचे चार आरोपियों ने फांसी से बचने के लिए सभी पैंतरे चलाए, लेकिन हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और फिर देश के राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका को खारिज कर कोर्ट के आदेश पर 20 मार्च, 2020 को फांसी दे दी गई. गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 को सर्द भरी रात में 23 साल की पारामेडिकल छात्रा निर्भया अपने दोस्त के साथ फिल्म देखने गई थी. फिल्म देखने के बाद घर जाने के दौरान मुनीरका इलाके में निर्भया के साथ खौफनाव वारदात को इस दरिंदों ने अंजाम दिया था.
इस अपराधियों ने निर्भया के साथ बारी-बारी से रेप किया. वारदात को अंजाम देने के बाद दरिंदों ने निर्भया और उसके दोस्त को घायल अवस्था में सड़क पर फेंककर बस से कुचलने तक की कोशिश की.
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कई दिनों तक निर्भया ने किया संघर्ष
"मैं जीना चाहती हूं, दोषियों के सजा मिले" ये बातें निर्भया ने अपनी मां से अस्पताल में इलाज के दौरान कही थी. कई दिनों तक निर्भया जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ती रही. हालात की गंभीर देखते हुए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बेहतर इलाज के लिए निर्भया को सिंगापुर भेजने का फैसला किया. 27 दिसंबर, 2012 को सरकार ने निर्भया को एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए सिंगापुर भेजा था. सिंगापुर में दो दिन के बाद ही निर्भया ने 29 दिसंबर को जिंदगी की जंग हार बैठी.
निर्भया की मृत्यु के बाद के जाने के देशभर में जोरदार प्रदर्शन दिखने को मिला. हर तरफ लोगों में गुस्सा, दोषियों के लिए फांसी की सजा की मांग हो रही थी. मामले में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए महज एक हफ्ते में सभी 6 आरोपियों को काबू कर लिया था. 20 मार्च, 2020 को दोषियों को सजा तो हो गई, लेकिन आज भी रेप जैसे जघन्य अपराध पर विराम नहीं लग रही है. NCRB की रिपोर्ट कि अगर हम बात करे तो आज भी महिलाओं के लिए दिल्ली सबसे सुरक्षित है.
बात अगर पिछले दो वर्षों की करे तो साल 2020 में महिलाओं के प्रति कुल 9,782 अपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. वहीं साल 2022 में कुल 13,982 मामले दर्ज किए गए हैं. NCRB के अनुसार, दिल्ली को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर बताया गया है. दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा मामला मुंबई में दर्ज किए गए थे. रिपोर्ट के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली में हर दिन दो नाबालिग लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं सामने आए.
बता दें कि निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इस कांड के बाद कानून में भी कई बदलाव किए गए थे. महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए गये, सरकार ने कई कदम उठाए. लेकिन, इसके बाबजूद भी अपराध की घटनाएं कम नहीं हो रही है. आये दिन अपराधियों के हैसले बुलंद नजर आ रहे हैं.