Money Laundering Case : ईडी ने 24 अगस्त, 2017 को CBI द्वारा दर्ज FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच शुरू की थी. एफआईआर के मुताबिक सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 के बीच दिल्ली सरकार में मंत्री रहते हुए ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की थी.
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नई दिल्ली : मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में गिरफ्तार दिल्ली सरकार (Delhi Government) के मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना जा रहा. ईडी ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. कानून प्रवर्तन एजेंसी ने बुधवार को यह जानकारी दी.
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मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभी सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) और दो अन्य फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. सत्येंद्र जैन को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत 30 मई को गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने 24 अगस्त, 2017 को CBI द्वारा दर्ज FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच शुरू की थी. एफआईआर के मुताबिक सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 के बीच दिल्ली सरकार में मंत्री रहते हुए ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की थी.
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने यह कहते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP) या जीबी पंत (GB Pant) अस्पताल स्वतंत्र रूप से सत्येंद्र जैन के स्वास्थ्य का आकलन करने में सक्षम हैं या नहीं, इस पर गंभीर संदेह है.
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ईडी ने अपनी याचिका में एक स्वतंत्र बोर्ड के गठन की मांग की थी. ईडी ने केंद्र सरकार के अस्पतालों के डॉक्टरों का पैनल बनाकर आप नेता सत्येंद्र जैन की स्वास्थ्य स्थिति को वेरिफाई करने की बात कही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के अधिकार रखे सुरक्षित
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के खिलाफ करीब 100 याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं में PMLA कानून के तहत आरोपियों की गिरफ्तारी, जमानत देने, संपत्ति जब्त करने के अधिकार को CrPC के दायरे से बाहर बताया.
याचिकाओं में PMLA एक्ट के तहत की कार्रवाई को असंवैधानिक बताया गया था. बुधवार को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत ED के गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि ED को गिरफ्तारी, सर्च, अटैच और संपत्ति जब्त करने का अधिकार है. अरेस्ट की वजह बताने की भी जरूरत नहीं है. हालांकि कोर्ट ने कानून में फाइनेंस बिल के जरिए किए गए बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच के पास विचार के लिए भेजा है.
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