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नई दिल्ली: देश के किसान अब भूसे संकट से परेशान होने लगे हैं. पशुपालन से जुड़े लोगों ने भूसे के दाम बढ़ने की शिकायत केंद्र सरकार से की है. हाल ही में हरियाणा सरकार ने बाहर के राज्यों में भूसा बेचने पर रोक लगा दी है. उत्तर प्रदेश की गोशालाओं में पशुओं के चारे का संकट गहराने के बाद सभी जिलाधिकारियों से करीब दो लाख टन भूसा दान में लेने का लक्ष्य रखा गया है.
आजादी के 75वें महोत्सव के अवसर पर दिल्ली में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों के जुड़ी योजनाओं, समस्याओं और उपलब्धियों पर चर्चा की गई. इस बीच केंद्रीय पशुपालन राज्यमंत्री संजीव बाल्यान ने कहा कि कई किसानों ने भूसे के दाम बढ़ने के शिकायत की है. वहीं दूध के दाम न बढ़ने से किसान अपने मवेशी बेचने को मजबूर हो रहे हैं. उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि सरकार भूसे का विकल्प साइलस यानि पैकिंग चारा बनाने पर जोर देगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संजीव बाल्यान का कहना है कि केंद्र सरकार को भी हालात के गंभीरता का अंदाजा है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए साइलस के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. इधर किसान लगातार सरकार से दूध की कीमत बढ़ाने की मांग कर रहे है, क्योंकि उन्हें मवेशियों के लिए चारा या तो बड़ी मुश्किल से मिल रहा है या फिर महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है.
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भूसे का संकट कितना गंभीर है, इसका अंदाजा आप यूपी के दाम से लगा सकते हैं. यहां बाजार में भूसा 1400 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है.
भूसे की कमी क्यों हुई?
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भूसा संकट को लेकर किसानों का कहना है कि लावारिस पशुओं से होने वाले नुकसान से बचने के लिए इस बार लोगों ने गेहूं कम बोया था. वहीं चारे वाली फसल किसान कर ही नहीं पा रहा है. वहीं दूसरी ओर हरियाणा सरकार की ओर से दूसरे राज्यों में भूसा बेचने पर रोक से आसपास के यूपी के जिलों में भूसा नहीं पहुंच रहा है.