MCD ELECTION 2022: कितना है दिल्ली नगर निगम का एरिया, आपके लिए जानना क्यों है जरूरी?
Advertisement

MCD ELECTION 2022: कितना है दिल्ली नगर निगम का एरिया, आपके लिए जानना क्यों है जरूरी?

जहां एक तरफ गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election 2022) के चर्चे भी कम नहीं है. आखिर हों भी क्यों ना, दिल्ली नगर  निगम दुनिया के बड़े निगमों में से एक जो है.

MCD ELECTION 2022: कितना है दिल्ली नगर निगम का एरिया, आपके लिए जानना क्यों है जरूरी?

नई दिल्ली: इन दिनों एमसीडी (Delhi MCD Election 2022) का चुनाव मानों दिल्ली की गद्दी जीतने जैसा हो गया है. जहां एक तरफ बीजेपी पूरी ताकत के साथ वापसी करने की जद्दोजहद में है तो वहीं आम आदमी पार्टी जनता से एक मौका मांग रही है. सियासी दल जीत के लिए अपने चुनाव प्रचार जोर-शोर से कर रहे हैं. जहां एक तरफ एमसीडी में सत्तासीन बीजेपी अपने 15 साल की उपलब्धियों को गिनाने में लगी है तो वहीं दूसरी तरफ उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी रही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस लगातार प्रेस कांफ्रेंस और रोड शो कर कूड़े के पहाड़ और एमसीडी में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उसे घेर रही हैं.

एमसीडी का इतिहास जितना ही पुराना और रोचक है, उतने ही रोचक इसके अधिकार और संरचना भी हैं. कई बार लोगों को दिल्ली सरकार और एमसीडी के मुद्दे भी एक जैसे लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. इसके लिए अगर आप मुख्य राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों पर एक निगाह डालें तो आपको भलीभांति समझ में आ जाएगा.

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि आपके वार्ड पार्षद अपनी जिम्मेदारी से खुद को किनारे करते दिखते हैं और उसका ठीकरा सीधे दिल्ली सरकार पर फोड़ देते हैं, तो वहीं विधानसभा के सदस्य आपको सीधे तौर पर संबंधित समस्याओं के लिए पार्षद के पास जाने की नसीहत दे देते हैं. तो आइए जानते हैं कि वो कौन से समस्याएं मुद्दे हैं, जो एमसीडी के दायरे में आते हैं.

दिल्ली नुक्कड़ में AAP का दावा- हर विधानसभा, हर वार्ड में बनेगी कूड़े से बिजली

दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत कुल 12 जोन
दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत कुल 12 जोन आते हैं, जिनमें सेंट्रल जोन, केशवपुरम, रोहिणी, सिटी-एसपी जोन, नजफगढ़ जोन, साउथ शहादरा जोन, सिविल लाइंस जोन, नरेला, साउथ जोन, करोल बाग, नॉर्थ शहादरा जोन और वेस्ट जोन आते हैं. इनमें अलग-अलग सुविधाएं निगम की तरफ से दी जाती हैं. स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ-सफाई के लिए निगम काम करती हैं. इन 12 जोन में जिन-जिन जगहों पर अगर सड़कें टूटी-फूटी या गड्ढे पाए जाते हैं तो उन्हें ठीक करने के लिए प्रत्येक जोन में ढाई-ढाई लाख रुपये आवंटित किए जाते हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए एमसीडी ने प्रत्येक जोन में सड़कों की मरम्मत करने के लिए इसी हिसाब से राशि आवंटित भी कर दी.

कितने हिस्सों में बंटी है दिल्ली?
वैसे सड़क का निर्माण एमसीडी और दिल्ली सरकार दोनों करती है. जहां 60 फीट से कम चौड़ी सड़कों की जिम्मेदारी एमसीडी के पास है तो वहीं इससे अधिक चौड़ी सड़कों की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के पास है. प्रथामिक विद्यालय की जिम्मेदारी एमसीडी के पास तो हायर स्कूल की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के पास रहती है. वहीं एमसीडी के पास कई डिस्‍पेंसरी है तो बड़े हॉस्पिटल की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के पास है. वैसे अब तीन की बजाय नगर निगम का एक ही सदन होगा तो ऐसे में माना जा रहा है कि अब एक ही मेयर और एक ही स्टैंडिंग कमिटी का प्रावधान होगा. इसके अलावा अब हाउस टैक्स, लाइसेंस आदि के लिए भी एक ही नीति होगी.

250 सीट, 2574 से ज्यादा नामांकन और कूड़े का भार, MCD में किसकी बनेगी सरकार?

परिसीमन के बाद विधानसभा-वार वार्डों को बांटा गया
एमसीडी (Delhi MCD Election 2022) के अधिकार क्षेत्र में दिल्ली के 70 में से 68 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. उत्तर पश्चिम दिल्ली, पश्चिम दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, चांदनी चौक, उत्तर पूर्व दिल्ली व पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के समस्त 10-10 विधानसभा क्षेत्र इनके अधीन है, जबकि नई दिल्ली संसदीय सीट के दायरे में आठ विधानसभा क्षेत्र है, इस क्षेत्र के नई दिल्ली व दिल्ली छावनी विधानसभा क्षेत्र एमसीडी के अधीन नहीं आते है. दिल्ली में अब एकीकृत नगर निगम में कुल 250 वार्ड बनाए जाने से, पहले तीन नगर निगमों के कुल वार्डों की संख्या में 22 वार्डों की कमी आ गई है. इससे पहले नार्थ एमसीडी और साउथ एमसीडी में 104-104 थे व ईस्ट एमसीडी में 64 वार्ड थे. तीनों नगर निगमों को मिलाकर कुल सीटों की संख्या 272 थीं. नए परिसीमन के मुताबिक, एक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 3 वार्ड आते हैं और अधिक से अधिक 6 वार्ड आते हैं.

दिल्ली नगर निगम का दायरा
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में आए दिनों पावर की लड़ाई चलती रहती है. जहां एक तरफ उप राज्यपाल (एलजी विनय कुमार सक्सेना) और मुख्यमंत्री के बीच तकरार की खबरें आती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली सरकार आरोप लगाती है कि केंद्र हमें काम नहीं करने देता है. ऐसे में दिल्ली में नगर निगम पार्षद की भूमिका के बारे में जानना बेहद जरूरी है. वैसे तो साल 2022-23 में एमसीडी का बजट 15,236 करोड़ रुपये का रहा. 15 हजार करोड़ रुपये बजट वाली एमसीडी पर हर राजनीतिक दल की निगाहें टिकी रहती है. 

पार्षदों को कितना फंड
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि दिल्ली में पार्षदों को सालाना 1 करोड़ रुपये का फंड मिलता है. विपक्षी दल एमसीडी में हुए घोटालों का भी जिक्र करते दिखते हैं. इस बार के चुनाव में कूड़े के पहाड़ के अलावा नगर निगम में घोटाला भी बड़ा मुद्दा है. वहीं प्राइमरी स्कूल, डिंस्पेंसरी, प्रॉपर्टी टैक्स, टोल टैक्स, किसी बिल्डिंग को लेकर नक्शों को मंजूरी, स्ट्रीट लाइट, पार्कों का रखरखाव, निगम की सड़कों की साफ सफाई, जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखना, श्मशान, कब्रिस्तान, रेस्टोरेंट के लिए लाइसेंस समेत कई ऐसे अधिकार हैं जो एमसीडी के दायरे में आते हैं.

एमसीडी और दिल्ली सरकार में फर्क साफ

बजट
दिल्ली सरकार का बजट- 75,800 करोड़ (2022-23)
एमसीडी का बजट- 15,276 करोड़ (2022-23)

स्कूल
दिल्ली एमसीडी के अंतर्गत कुल प्राइमरी स्कूलः 1,646
2021-22 के मुताबिक, कुल 871,000 छात्र नामांकित
दिल्ली गवर्नमेंट स्कूल के अंतर्गत कुल स्कूल- 1,043
सितंबर 2022 तक कुल 18,01,345 नामांकित हैं. पिछले साल 17.7 लाख नामांकित हुए थे.
एमसीडी के अंतर्गत 10 बड़े हॉस्पिटल- Hindu Rao, Maharishi Valmiki Infectious Diseases, Kasturba Hospital, Girdhari Lal Maternity Hospital and Rajan Babu Hospital.
साल 2021 में दिल्ली में 74551 टीबी केस पहचाने गए, जिनमें से 36,745 रोगी का ईलाज एमसीडी के क्लीनिक में हुआ. इनमें से 28552 टीबी के केसों का सफलता पूर्वक ईलाज किया गया.

लैंडफिल साइट्स पर MCD का अधिकार
दिल्ली के तीनों लैंडफिल साइट्स (Ghazipur, Bhalaswa, Okhla Landfil Site, ) को एमसीडी मैनेज करती है. सबसे बड़ा गाजीपुर वाला है. कुल 203 लाख टन कचरा जमा है. सिविक बॉडी ने पिछले दो सालों में 77 लाख कचरा कम किया. दिल्ली में 11,000 टन कचरा प्रति दिन जेनरेट होता है. सिविक बॉडी की प्रसंस्करण क्षमता 8,213 टन प्रतिदिन है.

MCD ELECTION 2022: काफी रोचक है दिल्ली नगर निगम का इतिहास

पार्क
दिल्ली शहर में करीब 17,000 पार्क हैं.
अकेले एमसीडी में 15,299 पार्क हैं.
पिछले 5-6 सालों में अध्ययन कर एमसीडी ने पार्कों में सुधार लाने की कोशिश की है. करीब 1600 पार्कों में ऑपन जिम स्थापित किया गया.

पार्किंग साइट्स
दिल्ली में करीब 400 पार्किंग साइट्स का मेनटेन कॉरपोरेशन द्वारा किया जाता है. सिविक बॉडी द्वारा साझा किए गए जानकारी के मुताबिक, निजामुद्दीन बस्ती में 86 कारों को पार्क करने की क्षमता वाली पहली 6 मंजिला पार्किंग अक्टूबर 2022 में पूरी होनी थी. एम-ब्लॉक मार्केट ग्रेटर कैलाश -1 में 399 कारों के लिए 9 मंजिला शटल पार्किंग जून 2023 तक पूरा होना है. अमर कॉलोनी लाजपत नगर में 81 कारों के लिए 6 मंजिला पहेली पार्किंग दिसंबर 2022 तक पूरी होना है. पंजाबी बाग श्मशान घाट में 225 कारों के लिए पहली 6 मंजिला पार्किंग अप्रैल 2023 तक पूरा होना है. शिव मार्केट प्रीतमपुरा में 500 कारों के लिए पार्किंग दिसंबर 2022 तक पूरा होना है. गांधी मैदान चांदनी चौक पर 2338 कारों के लिए पार्किंग दिसंबर 2022 तक पूरा होना है.

कितना फंड किसके पास
दिल्ली सरकार से एमसीडी मिलने वाला फंड- बीते मई माह के दौरान दिल्ली सरकार ने एमसीडी को दिए 630 करोड़ दिए थे. निगमों को दिल्ली सरकार से तीन किस्तों में पैसा मिलने का नियम है. पहली किस्त अप्रैल से जून महीने के लिए होती है. दूसरी जुलाई से दिसंबर तक (दो तिमाही का हिस्सा एक साथ होता है) और तीसरी किस्त जनवरी से मार्च तक के लिए होती है. इसके अलावा निगम अपने स्तर पर आय जुटाते हैं, जिससे उनका खर्च चलता है, लेकिन इनकी आय का प्रमुख स्रोत दिल्ली सरकार से मिलने वाला पैसा होता है. दिसंबर 2021 में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था, सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक तीन किस्तों में एमसीडी को 2,588 करोड़ की राशि दी.

Delhi MCD Election 2022: MCD में भी केजरीवाल के जवाब में BJP का सेवा है से जवाब

कितना बकाया
वहीं बीते सितंबर माह में उपराज्यपाल वीके सक्सेना (LG Vinai Kumar Saxena ) ने नगर निगम के दो साल से बकाया 383 करोड़ रुपये जारी करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा था. उन्होंने मांग की कि राशि जल्द निगम को जारी की जाए. इस राशि को रोके जाने से दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा है. 

पत्र में लिखा कि नगर निगम प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, सड़क और पार्क का बंदोबस्त करती है. उनके संज्ञान में आया है कि निगम को वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य का खर्च 383.74 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार की तरफ से नहीं दिए गये हैं. इन दोनों वर्षों के लिए सरकार की तरफ से निगम को 3768.64 करोड़ रुपये दिए जाने थे, लेकिन केवल 3384.90 करोड़ रुपये ही जारी किए गए.

Trending news