MCD मेयर चुनाव न होने से व्यापारियों में रोष, आप प्रत्याशी शैली ओबेरॉय पहुंचीं Supreme Court ​
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MCD मेयर चुनाव न होने से व्यापारियों में रोष, आप प्रत्याशी शैली ओबेरॉय पहुंचीं Supreme Court ​

दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद निगम की दो बैठकों के बावजूद आज तक एमसीडी को अपना मेयर और डिप्टी मेयर नहीं मिल पाया है.  आप ने चुनाव में 250 वार्डों में से 134 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने 104 वार्डों पर अपना परचम फहराया.

MCD मेयर चुनाव न होने से व्यापारियों में रोष, आप प्रत्याशी शैली ओबेरॉय पहुंचीं Supreme Court  ​

नई दिल्ली : दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद निगम की दो बैठकों के बावजूद आज तक एमसीडी को अपना मेयर और डिप्टी मेयर नहीं मिल पाया है.  आप ने चुनाव में 250 वार्डों में से 134 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा ने 104 वार्डों पर अपना परचम फहराया. कुछ पार्षदों के हंगामे के बाद मेयर और डिप्टी मेयर चुने बिना एमसीडी हाउस को 24 जनवरी को स्थगित कर दिया गया था. इधर दिल्ली को मेयर न मिलने से व्यापारी नाराज हैं. अखिल भारतीय व्यापार संघ के अध्यक्ष सतीश बंसल ने कहा है कि एलजी मामले में दखल देकर मेयर चुनाव का रास्ता साफ करवाएं. 

इधर एमसीडी मेयर पद के लिए आप प्रत्याशी डॉ. शैली ओबरॉय ने सुप्रीम कोर्ट  का दरवाजा खटखटाया है. आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी के अंदर बीजेपी का शासन मार्च 2022 में खत्म हो चुका है. उसे कोई नैतिक हक नहीं है कि वह एमसीडी पर कब्जा करे. एमसीडी को केंद्र सरकार के अंदर डाल दिया गया. केंद्र ने एमसीडी पर कब्जा रखा और अब जब दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को बहुमत दिया, इसके बावजूद बीजेपी गंदी राजनीति के चलते आप का मेयर नहीं बनने दे रही. 

भारद्वाज ने बताया कि मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबरॉय ने चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा है कि टाइम बाउंड मैनर में जल्द से जल्द मेयर चुनाव कराया जाए. पूरे प्रोसेस को कोर्ट कंप्लीट करवाएं.  शैली ओबेरॉय ने कहा कि नॉमिनेटेड काउंसलर को  वोटिंग का अधिकार नहीं है, मगर बीजेपी दादागिरी करके उनका वोट कराना चाहती है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट केंद्र और MCD प्रशासन को सख्त आदेश दे. 

एमसीडी के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान हालात में महापौर चुने जाने तक विशेष अधिकारी अपने पद पर बने रहेंगे. हालांकि, बड़े फैसले- नीतिगत मामलों, विकास कार्यों और परियोजना संबंधी, जिनमें बड़े वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है- को स्थायी समिति के गठन समेत सभी जरूरी प्रक्रियाओं के पूरा होने तक इंतजार करना होगा.