महाशिवरात्रि पर शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़. छोटी काशी के 350 से अधिक सभी छोटे बड़े शिव मंदिरों में पूजा-पाठ जारी है. वहीं 28 कावड़ियों ने शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया.
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नवीन शर्मा/भिवानी: भिवानी के हनुमान जोहड़ी मंदिर धाम शिवालय, जोगीवाला शिव मंदिर शिवालय और संतोषी माता मंदिर शिवालय में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. छोटी काशी के 350 से अधिक सभी छोटे बड़े शिव मंदिरों में पूजा-पाठ जारी है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है. महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि और श्रावण महीने में मनाया जाता है. फाल्गुन माह में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था और आज के दिन ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का धरती पर प्रकट हुए थे, जिसके चलते आज महा शिवरात्रि देशभर के हर छोटे बड़े मंदिरों में मनाई जा रही है. आज के दिन लोग भगवान भोलेनाथ की पूरे विधि विधान से पूजा करते है. इस दिन व्रत रखने का भी विधान है.
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शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के बारे में जिक्र करते हुए महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भगवान शिव की अराधना नित नियम से, तन-मन से की जाती है. संसार में भगवान शिव के आदि-अनादि रूप की पूजा चरणामृत से की जाती है. महंत वेदनाथ ने कहा कि भगवान शिव कण-कण में निवास करते हैं और आज के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती ने पानी ग्रहण किया था और आज के दिन ही प्राकृतिक रूप से भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग अवतार में आई. आज श्रद्धालुओं ने बेलपत्र, धूप और ओम नमः: शिवाय मंत्र से धूप-दीप के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना की गई है.
बाल योगी महंत चरण दास महाराज ने कहा कि भगवान शिव की आराधना करने से भगवान शिव खुश होते हैं और आज का दिन संकल्प का दिन है. हमें नशे जैसी बुराई से दूर रहना चाहिए. आज के दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए शिवरात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जानी जाती है. आज के दिन ही 12 ज्योतिर्लिंग अस्तित्व में आए थे.
वहीं हरिद्वार से 38वीं कावड़ में गंगाजल लेकर पहुंचे महेंद्र लोहिया ने बताया कि सर्दी और गर्मी में गोमुख और हरिद्वार से भगवान शिव की कावड़ लेकर आते हैं. उनकी यह 38वीं कावड़ है, जिसमें गंगाजल लाकर भगवान शिव को यहां चढ़ाया जाता है, ताकि हर घर में सुख और समृद्धि रहे. देश में अमन और शांति रहे. उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज भी समय-समय पर पीछे भगवान शिव की कावड़ लाते रहे हैं और उन्हीं की परंपराओं को लेकर वे गोमुख व हरिद्वार से कावड़ लेकर आते हैं. जल लाकर छोटी काशी भिवानी में संतोषी माता मंदिर शिवालय में गंगा जल चढ़ाते हैं.