Arvind Kejriwal Sanitation Workers Housing Proposal: राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम एक बड़ी सामाजिक समस्या को हल करने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसे चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है.
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नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जब आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली के सफाई कर्मचारियों के लिए आवास मुहैया कराने का आग्रह किया. इस प्रस्ताव ने न केवल सफाई कर्मचारियों की समस्याओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने का काम किया है, बल्कि इसे एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में भी देखा जा रहा है.
सफाई कर्मचारियों की स्थिति पर सवाल
अरविंद केजरीवाल ने अपने पत्र में कहा कि दिल्ली के सफाई कर्मचारी शहर की स्वच्छता व्यवस्था की रीढ़ हैं. इन कर्मचारियों को नौकरी के दौरान सरकार द्वारा आवास मुहैया कराया जाता है, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्हें ये आवास खाली करने पड़ते हैं. वे अपनी आर्थिक स्थिति के चलते दिल्ली जैसे महंगे शहर में किराये का घर लेने या अपना घर खरीदने में सक्षम नहीं होते. केजरीवाल का दावा है कि यह समस्या केवल सफाई कर्मचारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि निचले स्तर के कई सरकारी कर्मचारियों को इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
केंद्र से जमीन की मांग
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि सफाई कर्मचारियों के लिए रियायती दरों पर जमीन उपलब्ध कराई जाए. दिल्ली सरकार ने इस पर काम करने की पेशकश की है और कहा है कि यदि केंद्र जमीन मुहैया कराए, तो दिल्ली सरकार इन कर्मचारियों के लिए मकान बनाएगी. मकान की लागत को कर्मचारी आसान किस्तों में चुकाएंगे. केजरीवाल ने इसे एक मॉडल योजना बताया, जो सफाई कर्मचारियों के बाद अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी लागू की जा सकती है.
राजनीतिक दृष्टिकोण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम एक महत्वपूर्ण सामाजिक समस्या को हल करने की दिशा में उठाया गया है, लेकिन इसे चुनावी रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि आगामी चुनावों में सफाई कर्मचारियों और निचले तबके के कर्मचारियों का समर्थन किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकता है. बीजेपी और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, जबकि आप पार्टी इसे अपनी सरकार की गरीब समर्थक नीतियों के तौर पर पेश कर रही है.
क्या केंद्र मानेगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या केंद्र सरकार केजरीवाल के इस प्रस्ताव को मानेगी? अगर हां, तो यह दिल्ली के सफाई कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत होगी. अगर नहीं, तो यह मुद्दा आने वाले चुनावों में राजनीतिक अखाड़े का बड़ा मुद्दा बन सकता है.
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