Sanjeevani Yojana: संजीवनी योजना इतनी खास क्यों? दिल्ली में आयुष्मान स्कीम के लागू न होने की वजह जान लें
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Sanjeevani Yojana: संजीवनी योजना इतनी खास क्यों? दिल्ली में आयुष्मान स्कीम के लागू न होने की वजह जान लें

Delhi Sanjeevani Scheme: आम आदमी पार्टी के संयोजन का मानना है कि केंद्र की ऐसी योजना में क्यों भागीदार हुआ जाए जो अमीरी-गरीबी और जाति के आधार पर मरीजों में भेदभाव करती हो?

Sanjeevani Yojana: संजीवनी योजना इतनी खास क्यों? दिल्ली में आयुष्मान स्कीम के लागू न होने की वजह जान लें

Sanjeevani Vs Ayushman Yojana: दिल्ली के चुनावी माहौल में बीजेपी नेता आम जनमानस को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि आप आदमी पार्टी की सरकार राजधानी में लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी लाभकारी आयुष्मान योजना को लागू नहीं कर रही. इधर आप सरकार ने दिल्लीवासियों के लिए संजीवनी योजना की घोषणा कर दी. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या संजीवनी योजना संशोधित आयुष्मान योजना से बेहतर है या फिर ये सिर्फ दिल्ली चुनाव में फायदे के लिए एक योजना का ऐलानभर हैं. क्यों दिल्ली सरकार आयुष्मान योजना को लागू नहीं होने दे रही. 

इन सवालों के जवाब तलाशने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि सितंबर में ही 70 साल के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान योजना में शामिल किया गया था. इधर दिल्ली सरकार ने संजीवनी योजना के तहत 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को बगैर भेदभाव के इलाज मुहैया कराने का वादा किया है. योजनाओं को बेहतर-कमतर समझने की शुरुआत इसी तथ्य से हो जाती है. अरविंद केजरीवाल ने संजीवनी योजना के तहत सभी उम्र के सीनियर सिटीजन को शामिल करने की घोषणा की है यानी 60 साल से ऊपर सभी सीनियर सिटीजन इस योजना का लाभ ले सकते हैं.कह सकते हैं न उम्र की सीमा है न खर्च का है बंधन. इतना ही नहीं जाति-धर्म-लिंग जैसे भेद भी संजीवनी योजना में नहीं हैं और न ही यह योजना अमीर-गरीब का फर्क करती है. संजीवनी योजना की यह ऐसी खासियत है जो आयुष्मान योजना में नजर नहीं आती. 

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आयुष्मान योजना में बीमा कवर की उच्च सीमा 5 लाख रुपये है. सिर्फ सामाजिक-शैक्षिक रूप से जातिगत सर्वेक्षण 2011 के आंकड़े के तहत चिन्हित वर्ग को ही आयुष्मान योजना का लाभ मिलता है. ईडब्ल्यूएस वर्ग भी इसमें आता है. करीब 13.44 करोड़ परिवार और 65 करोड़ लोग आयुष्मान योजना के अंतर्गत आते हैं. अब तक करीब 32.40 करोड़ लोगों ने आयुष्मान भारत कार्ड बनवाया है, जबकि इस कवर से लाभान्वित लोगों की तादाद दिसंबर 2023 तक 5.47 करोड़ है.

केजरीवाल क्यों नहीं करते आयुष्मान योजना की वकालत?
आयुष्मान योजना केंद्र और राज्य सरकार की सहभागिता से चलने वाली योजना है. इसमें केंद्र 60 फीसदी और राज्य 40 फीसदी खर्च करता है. अब सवाल उठता है कि फ्री इलाज की सुविधा देने में किसी किस्म का भेदभाव क्यों होना चाहिए? केंद्र की ऐसी योजना में क्यों भागीदार हुआ जाए जो अमीरी-गरीबी और जाति के आधार पर मरीजों में भी भेदभाव  करती हो? केजरीवाल इसी वजह से आयुष्मान योजना की वकालत नहीं करते हैं.  उनका कहना है कि जब राज्य सरकार को ही 40 फीसदी योगदान करना ही है तो संजीवनी जैसी योजना पर क्यों न काम किया जाए, जहां सबके लिए बिना किसी भेदभाव के इलाज सुनिश्चित हो. दरअसल केजरीवाल यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोगों को मुफ्त इलाज दिया जाए ताकि उनका खर्च न हो और पैसे की बचत हो. जिसकी जितनी बचत होगी, वह उतना ही सशक्त होगा. केजरीवाल का दिल्ली मॉडल यही है कि दिल्ली के हर व्यक्ति को उनके शासनकाल में 30 से 35 लाख रुपये का फायदा हुआ महसूस हो. इसके लिए वे बीते दस साल से लगातार कल्याणकारी योजनाएं लेकर आते रहे हैं.

केंद्र की आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना और संजीवनी योजना में फर्क यह है कि एक 15 लाख हर अकाउंट में डालने जैसा जुमले की तरह है जबकि दूसरा ‘रेवड़ी’ की तरह. एक में इलाज सुनिश्चित नहीं होता, बस 5 लाख तक का कवर होता है जो पूर्ण इलाज को ‘जुमला’ बना देता है. दूसरे में लोगों के स्वस्थ होने तक इलाज होता है भले ही खर्च की सीमा जहां तक चली जाए. ये सुविधा ‘रेवड़ी’ की तरह है जो केजरीवाल सरकार लगातार बांटती रही है.

आयुष्मान का लाभ सीमित 
सितंबर के महीने में केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत- जन आरोग्य योजना में बदलाव किया था. 70 साल से अधिक उम्र के लोगों को उन्होंने इस योजना में शामिल किया था. इस योजना का लाभ 4.5 करोड़ परिवार के करीब 6 करोड़ लोगों को होगा। मगर, यह बात भी उल्लेखनीय है कि 65 करोड़ चिन्हित लोगों में से 2023 तक 10 फीसदी लोगों को भी आयुष्मान योजना का लाभ शुरू के छह साल तक नहीं मिल सका है. आयुष्मान योजना में 70 साल से ज्यादा लोगों को अब गोल्डन कार्ड मिलेगा, जिसका इस्तेमाल टॉप अप के तौर पर होगा. आयुष्मान योजना 5 लाख तक का बीमा कवर प्रति परिवार देता है, लेकिन केजरीवाल की संजीवनी योजना में इलाज की कोई ऊंची सीमा नहीं है. यानी मरीज की जान बचाना ही दिल्ली सरकार का अंतिम लक्ष्य है.

दोनों योजनाओं में एक बात कॉमन भी

संजीवनी और आयुष्मान योजना दोनों में एक बात कॉमन भी है कि क्योंकि इन योजनाओं में अस्पताल की सीमा नहीं है. ऐसा नहीं है कि योजना का लाभ सरकारी अस्पताल में ही मिलेगा या निजी अस्पताल में ही इलाज कराना होगा. ऐसी कोई बाध्यता दोनों ही योजनाओं में नहीं है. 

दोनों स्कीम में ये अंतर भी 

एक आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी के मुताबिक 2018 और 2023 के बीच 5.47 करोड़ लोगों ने आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराया। पहले तीन साल में वार्षिक स्तर पर 49 लाख मरीजों ने फायदा उठाया. बाद के 3 साल में औसतन 1.33 करोड़ मरीजों ने आयुष्मान योजना का फायदा उठाया यानी समय के साथ-साथ आयुष्मान योजना का फैलाव हुआ. मगर, गौर करने वाली बात ये है कि दक्षिण के और वह भी खासतौर से सिर्फ पांच राज्यों में आयुष्मान योजना का अधिकाधिक लाभ लेते लोगों को देखा गया. संजीवनी योजना में मरीज के पूर्ण रूप से स्वस्थ होने तक इलाज होता है. मरीज अस्पताल में भर्ती न हो तब भी इलाज होता है. वहीं, आयुष्मान योजना का लाभ मरीजों को तभी मिलता है जब वह अस्पताल में भर्ती होता है. भर्ती होने से पहले के तीन दिन और बाद के 15 दिन तक दवाएं, जांच आदि खर्च इसमें कवर होता है.

इनपुट: प्रेम कुमार