Rohtak Loksabha Election: आजादी के बाद से रोहतक सीट पर रहा है हुड्डा परिवार का दबदबा, कितनी काम आएगी BJP की लहर?
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Rohtak Loksabha Election: आजादी के बाद से रोहतक सीट पर रहा है हुड्डा परिवार का दबदबा, कितनी काम आएगी BJP की लहर?

Rohtak Lok Sabha Polls: जाटलैंड के नाम से पहचान बना चुके रोहतक ने हरियाणा की राजनीति पर हमेशा से असर छोड़ा है. खास बात ये है कि अलग प्रदेश बनने से लेकर 2014 तक हुए लोकसभा चुनावों में भले ही किसी भी पार्टी ने रोहतक में जीत दर्ज की हो, लेकिन सांसद जाट समुदाय से ही रहा है. 

Rohtak Loksabha Election: आजादी के बाद से रोहतक सीट पर रहा है हुड्डा परिवार का दबदबा, कितनी काम आएगी BJP की लहर?

Rohtak Loksabha Election: हरियाणा की 10 में से 10 लोकसभा सीटों पर एक बार फिर बंपर जीत दर्ज कराने के लिए बीजेपी उम्मीदवारों के चयन में फूंक-फूंककर कदम रख रही है. बीजेपी राज्य की छह सीटों पर प्रत्याशी उतार चुकी है, लेकिन रोहतक समेत 4 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारने से पहले बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. दरअसल जाटलैंड के नाम से पहचान बना चुके रोहतक ने हरियाणा की राजनीति पर हमेशा से असर छोड़ा है. इस सीट पर 1952 से लेकर अब एक सबसे ज्यादा समय हुड्डा परिवार के सदस्य ही सांसद रहे हैं, ऐसे में आगामी चुनाव में 400 सीटें जीतने का दावा कर रही बीजेपी रोहतक सीट से अपना उम्मीदवार खोजने में लगी है.

आजादी के बाद रणबीर हुड्डा बने थे पहले सांसद 
हरियाणा के अलग प्रदेश बनने से पहले 1952 में कांग्रेस नेता रणबीर सिंह हुड्डा रोहतक सीट से पहले सांसद बने थे. रणबीर सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के पिता और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के दादा हैं. वे अविभाजित पंजाब में दस साल तक रोहतक से सांसद रहे थे. 

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देवीलाल को हराकर भूपेंद्र आए थे चर्चा में 
इसके बाद रणबीर सिंह हुड्डा के बेटे भूपेंद्र सिंह हुड्डा 1991 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश के कद्दावर नेता देवीलाल को मात्र 383 वोट से हराकर संसद पहुंचे. उनकी इस जीत से जाटलैंड सहित पूरे प्रदेश में उन्हें एक जाट नेता के रूप में अलग पहचान मिली. कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा लगातार तीन बार (1991,1996 और 1998) संसद पहुंचे. हालांकि कारगिल युद्ध के बाद 1999 में रोहतक के वोटर्स ने कैप्टन इंद्र सिंह पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ज्यादा भरोसा जताया और इंद्र सिंह रोहतक के रास्ते संसद पहुंच गए. हालांकि 2004 में भूपेंद्र हुड्डा ने फिर अपनी ताकत का एहसास कराया और चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और करीब एक साल तक सांसद रहे.

करीब तीन दशक तक किया प्रतिनिधित्व 
इसके बाद कांग्रेस ने 2009 और 2014 में भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र को रोहतक सीट से उतारा और जनता जनार्दन ने दो बार उन्हें संसद पहुंचाया. इस तरह देखा जाए तो आजादी के बाद से लेकर अब तक करीब 28 साल रोहतक सीट से हुड्डा एंड फैमिली के सदस्य ही सांसद रहे हैं. 

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जाट समुदाय के उम्मीदवारों पर ही रहा ज्यादा भरोसा 
खास बात ये है कि अलग प्रदेश बनने से लेकर 2014 तक हुए लोकसभा चुनावों में भले ही किसी भी पार्टी ने जीत दर्ज की हो, लेकिन सांसद जाट समुदाय से ही रहा है. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में ये सीट बीजेपी के खाते में चली गई और ब्राह्मण उम्मीदवार अरविंद शर्मा संसद जा पहुंचे. इस बार दीपेंद्र इस सीट पर चुनाव जीतकर पिता के तीन बार जीतने के रिकॉर्ड की बराबरी करना चाहेंगे. उनके पास इतिहास दोहराने का समय है, जब वे रोहतक सीट पर फिर से कब्जा जमा सकते हैं. ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ माने जाने वाले रोहतक से मौजूदा सांसद अरविंद कुमार शर्मा को फिर उम्मीदवार बनाती है या फिर बीजेपी की लहर के साथ जाट समाज के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारती है. 

हरियाणा में बीजेपी की लहर: धर्मबीर
हाल ही में भिवानी महेंद्रगढ़ के लोकसभा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह ने कहा था कि इस बार चुनाव प्रत्याशी नहीं, बीजेपी लड़ेगी. ऐसे में देखना होगा कि इस बार रोहतक में बीजेपी की लहर कितनी काम आएगी. बीजेपी हमेशा से कांग्रेस को परिवारवाद की राजनीति का आरोप लगाकर घेरती रही है. ऐसे में अगर पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी इस सीट पर अपने कब्जे को बरकरार रखती है तो कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. हरियाणा की राजनीति पर असर डालने वाली इस सीट को जीतने के लिए दोनों ही पार्टियां जी जान से जुटी हैं.   

25 मई को रोहतक का भाग्य EVM में हो जाएगा बंद 
रोहतक समेत हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान होगा. इसके बाद 4 जून को EVM में बंद मतों की गणना होगी. उम्मीदवार 29 अप्रैल से नामांकन कर सकेंगे. नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 6 मई है. इसके बाद 9 मई तक नामांकन वापस लिए जाएंगे.

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