Delhi Election 2025: BJP की आंतरिक कलह, तुगलकाबाद सीट पर क्या खो देगी पार्टी अपनी पकड़?
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Delhi Election 2025: BJP की आंतरिक कलह, तुगलकाबाद सीट पर क्या खो देगी पार्टी अपनी पकड़?

Delhi Election 2025: तुगलकाबाद सीट पर पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को 58,905 वोट, भाजपा को 45,147 वोट और कांग्रेस को सिर्फ 1,342 वोट मिले थे.

 

Delhi Election 2025: BJP की आंतरिक कलह, तुगलकाबाद सीट पर क्या खो देगी पार्टी अपनी पकड़?

नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और तुगलकाबाद सीट पर इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प और कड़ा हो गया है. जहां भाजपा अपनी खोई हुई सीट वापस पाने की रणनीति पर काम कर रही है, वहीं अंदरूनी कलह और बगावत पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच यह सीट पहले ही प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी है, लेकिन भाजपा के आंतरिक विवाद ने इसे और भी पेचीदा बना दिया है.fallbackfallback

भाजपा की रणनीति और बगावत का असर
भाजपा ने इस बार तुगलकाबाद सीट पर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए नया चेहरा, रोहताश बिधूड़ी को मैदान में उतारा है. यह फैसला पार्टी के लिए दोधारी तलवार बन गया है. पिछले दो चुनावों में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले विक्रम बिधूड़ी को इस बार नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे उनके समर्थकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है. विक्रम समर्थक न केवल पार्टी के प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं, बल्कि कई लोग अंदरूनी तौर पर रोहताश के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. इस नाराजगी का असर भाजपा की चुनावी रणनीति पर पड़ सकता है, क्योंकि विक्रम बिधूड़ी ने पिछले चुनाव में 45,000 वोट हासिल कर भाजपा को मजबूत विपक्ष के तौर पर खड़ा किया था.

कांग्रेस के लिए नई उम्मीद: वीरेंद्र बिधूड़ी
कांग्रेस जो तुगलकाबाद सीट पर 1998 के बाद से जीत हासिल नहीं कर सकी है, इस बार वीरेंद्र बिधूड़ी के साथ वापसी की उम्मीद कर रही है. वीरेंद्र भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी के भाई हैं, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. वीरेंद्र ने कांग्रेस का टिकट लेकर न केवल भाजपा को झटका दिया है, बल्कि अपने परिवार के कुछ सदस्यों और समर्थकों को भी कांग्रेस के पक्ष में खड़ा कर दिया है. रामवीर सिंह बिधूड़ी अपनी तरफ से स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी अपील का कितना असर होगा, यह कहना मुश्किल है.

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आप की पकड़ और तीसरा पक्ष
तुगलकाबाद में आम आदमी पार्टी (AAP) का दबदबा 2015 से बना हुआ है. पिछली बार पार्टी के प्रत्याशी सहीराम पहलवान ने भाजपा के विक्रम बिधूड़ी को 13,758 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार आप ने फिर सहीराम पर भरोसा जताया है, जो भाजपा और कांग्रेस के नए प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं. AAP का जनाधार खासतौर पर झुग्गी-झोपड़ी और मजदूर वर्ग में मजबूत है. पार्टी की मुफ्त बिजली-पानी और शिक्षा योजनाओं ने तुगलकाबाद जैसे क्षेत्रों में उसे मजबूती दी है. हालांकि, इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने आप की रणनीतियों को चुनौती देने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं.

मुकाबला क्यों है दिलचस्प?
तुगलकाबाद की चुनावी लड़ाई इस बार इसलिए दिलचस्प हो गई है. क्योंकि भाजपा को अपने ही समर्थकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस ने वीरेंद्र बिधूड़ी जैसे स्थानीय नेता को मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. आप अपने विकास कार्यों के बल पर तीसरी बार सीट बचाने की कोशिश में है.

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क्या कहता है पिछले चुनाव का गणित?
पिछले चुनाव में  AAP: 58,905 वोट, भाजपा: 45,147 वोट, कांग्रेस: 1,342 वोट मिलें. कांग्रेस के लिए यह सीट वापसी का जरिया बन सकती है, लेकिन अंदरूनी लड़ाई और भाजपा के साथ पारंपरिक मुकाबला इसे कठिन बना सकता है. वहीं भाजपा को अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए विक्रम बिधूड़ी के समर्थकों को मनाना होगा.fallback

तुगलकाबाद विधानसभा सीट पर अंतिम विचार
तुगलकाबाद विधानसभा सीट पर इस बार की लड़ाई सत्ता की नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व की है. भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न है, कांग्रेस के लिए पुनर्जन्म की संभावना और AAP के लिए अपनी लोकप्रियता की कसौटी. तीनों पार्टियां मैदान में पूरी ताकत झोंक चुकी हैं, लेकिन असली फैसला 8 फरवरी को मतगणना के दिन होगा.

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