Delhi Election 2025: त्रिकोणीय मुकाबले में किसकी रणनीति होगी कामयाब, कौन साधेगा जाट-यादव समीकरण?
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Delhi Election 2025: त्रिकोणीय मुकाबले में किसकी रणनीति होगी कामयाब, कौन साधेगा जाट-यादव समीकरण?

Delhi Election 2025: इस बार नांगलोई जाट विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. आम आदमी पार्टी ने फिर से रघुविंदर शौकीन पर भरोसा किया है, जो पहले भी इस सीट से दो बार जीत चुके हैं.

Delhi Election 2025: त्रिकोणीय मुकाबले में किसकी रणनीति होगी कामयाब, कौन साधेगा जाट-यादव समीकरण?

नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और 5 फरवरी को मतदान होना है. इस बार चुनावी पारा पूरे उत्तर-पश्चिम दिल्ली में चढ़ा हुआ है. नांगलोई जाट विधानसभा सीट जो अपने जातीय समीकरण और राजनीतिक उतार-चढ़ाव के लिए जानी जाती है, इस बार भी तीन प्रमुख पार्टियों—आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबले का केंद्र बनी हुई है.

जातीय समीकरणों का प्रभाव
नांगलोई जाट विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण एक अहम भूमिका निभाते हैं. इस क्षेत्र में यादव और जाट समुदाय का दबदबा है. कुल 2,26,043 मतदाताओं में से 1,43,122 पुरुष, 1,20,875 महिलाएं और 46 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. जातिगत आंकड़ों को देखते हुए सभी पार्टियां इन दो प्रमुख समुदायों को लुभाने की कोशिशों में जुटी हैं. इसके अलावा, क्षेत्र की जनता लंबे समय से स्थानीय मुद्दों में जाम, कूड़े की समस्या, अवैध पार्किंग और जलभराव आदि का समाधान चाहती है, जो इस बार चुनावी चर्चा के केंद्र में है. 

इतिहास: हर पार्टी को मिली है जीत
1993 से शुरू हुए विधानसभा चुनावों में नांगलोई जाट सीट पर हर पार्टी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. 1993 में इस सीट पर पहली जीत बीजेपी को मिली. 1998 और 2003 में कांग्रेस ने यहां बिजेंद्र सिंह के नेतृत्व में जीत दर्ज की और 2008 में हैट्रिक पूरी की, लेकिन 2013 में बीजेपी ने 20 साल बाद मनोज शौकीन के नेतृत्व में यहां वापसी की. 2015 में आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की. रघुविंदर शौकीन ने बीजेपी के मनोज शौकीन को हराकर 83,259 वोट के साथ बड़ी जीत दर्ज की. 2020 के चुनाव में भी रघुविंदर ने अपनी जीत को दोहराया. इस तरह, यह सीट तीनों प्रमुख दलों के लिए अहम बन गई है.

2025: इस बार का समीकरण
इस बार के चुनाव में भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. आम आदमी पार्टी ने रघुविंदर शौकीन पर तीसरी बार भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी ने पुराने चेहरे मनोज शौकीन को उतारा है, जो 2013 में इस सीट पर जीत चुके हैं. वहीं कांग्रेस ने इस बार रोहित चौधरी को प्रत्याशी बनाया है, जो युवा मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेंगे.

स्थानीय मुद्दे और भविष्य का फैसला
चुनाव में जातीय समीकरण के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे, खासकर जाम और अवैध पार्किंग की समस्या, महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. अब देखना यह है कि क्या ‘आप’ तीसरी बार जीत दर्ज कर पाएगी, या बीजेपी और कांग्रेस में से कोई बाजी मार लेगा. 8 फरवरी को नतीजे तय करेंगे कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है.

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