Lathmar Holi Barsana: बरसाना में लठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है. यह होली बहुत ही शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि बरसाने की महिलाएं की लाठी जिसके सिर पर छू जाए, वो सौभाग्यशाली माना जाता है.
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Barsana Lathmar Holi: होली पर परंपरा, आस्था और भक्ति के रंग में पूरा ब्रज डूबा हुआ है. सोमवार को बरसाना में सदियों पुरानी लीला एक बार फिर जीवंत हुई. लठमार होली खेलने के लिए कृष्ण के नंदगांव से हुरियारे राधारानी के गांव बरसाना पहुंचे. यहां बरसाना की हुरियारिनों ने प्रेम से पगी लाठियों उन पर बरसाईं तो अबीर गुलाल के साथ रंगों की बरसात होने लगी. श्रीजी मंदिर से लेकर बरसाना की गलियां, रंगों से सराबोर हो गईं. भव्य और दिव्य लठमार होली को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आए.
बरसाना में लठमार होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है. यह होली बहुत ही शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि बरसाने की महिलाएं की लाठी जिसके सिर पर छू जाए, वो सौभाग्यशाली माना जाता है. लठमार होली के लिए एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इससे एक दिन पहले बरसाना में लड्डू होली खेली गई. शुक्रवार को लठमार होली का आयोजन किया गया.
बरसाना से होली का निमंत्रण मिलने के बाद नंदगांव के हुरियारों ने रातभर बरसाना की होली के लिए तैयारी की. सभी ग्वाल-बाल सोमवार को सुबह नंदभवन में एकत्रित हुए. श्रीकृष्ण और दाऊ जी के विग्रह के सामने पद गाकर उनसे होली खेलने साथ चलने को कहा. नंदीश्वर महादेव को भी पद गाकर अपने साथ चल कर अलौकिक होली का आनंद लेने का आग्रह किया.
नंदगांव के हुरियारे आनंदघन चौपाल से ''चलौ बरसाने में खेलें होरी'' पद गाते हुए श्रीकृष्ण स्वरूप पताका को साथ लेकर होकर बरसाना के लिए निकल पड़े. वो बरसाना की हुरियारिनों के लाठियों से बचने के लिए ढाल लेकर निकले. धोती, बगलबंदी, पीतांबरी से सुसज्जित हुरियारे रंग गुलाल उड़ाते ही पैदल बरसाना धाम पहुंचे. लठमार होली खेलने के लिए नंदगांव से हुरियारे प्रिया कुंड पहुंचते हैं. यहां से स्वागत सत्कार के बाद हुरियारे टोलियों के रूप में बरसाना पहुंचते हैं. रंगीली गली में सजी धजी हुरियारिनों से वाद संवाद होता है. प्रेम में सराबोर शब्दों से हंसी ठिठोली होने लगती है.
वाद संवाद अब प्रेमरस भरी तनातनी में बदलने लगता है. हुरियारिनों की लाठियों बरसने लगती हैं. हुरियारे होली के गीत गाते हुए अपनी ढाल से बचाव करते हैं. लाठियों के साथ बरसाना की रंगीली गली में अबीर गुलाल की वर्षा होने लगती है. यहां आए हजारों श्रद्धालु होली के अद्भुत रंगों में सराबोर हो गए. इस अलौलिक लीला का साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु बरसाने का पावन धरा पर आए. सुबह से ही लोगों ने बरसाने में डेरा डाल लिया. हर कोई होली की मस्ती में झूमता नजर आया. लठमार होली देखने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालओं आए, जो भारतीय संस्कृति के अद्भुत रंगों में डूबे नजर आए.