Karwa Chauth 2022: इस करवा चौथ करें चौथ माता मंदिर के दर्शन, सुहागिनों का उमड़ता है बड़ा सैलाब
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Karwa Chauth 2022: इस करवा चौथ करें चौथ माता मंदिर के दर्शन, सुहागिनों का उमड़ता है बड़ा सैलाब

क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में चौथ माता मंदिन स्थित है. इस मंदिर में करवाचौथ वाले दिन सुहागिनों का सबसे बड़ा सैलाब उमड़ता है. कहते हैं कि यहां आने वाली सभी महिलाएं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां गौरी का आशिर्वाद भी प्राप्त होता है. जानें इस मंदिर की खासियत के बारे में.

Karwa Chauth 2022: इस करवा चौथ करें चौथ माता मंदिर के दर्शन, सुहागिनों का उमड़ता है बड़ा सैलाब

Karwa Chauth 2022: करवा चौथ का पर्व देशभर में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस साल करवाचौथ का पर्व 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. व्रत वाले दिन सुबह सबसे पहले सरगी करती हैं और इसके बाद शाम को पूजा करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती है.

लेकिन, आज हम आपकों देश के सबसे बड़े चौथ माता मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में स्थित है. कहते हैं कि इस मंदिर में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु माता का आशिर्वाद लेने आते हैं. यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं माता पूरी करती है.

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सुहागिनों का उमड़ता है बड़ा सैलाब

कहते हैं कि यह मंदिर करीब 700 साल पुराना प्राचीन मंदिर है. अरावली की पहाड़ी पर 1000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद यह मंदिर भक्तों, खासकर सुहागिनों का आस्था का केंद्र रहा है. कहां जाता है कि करवा चौथ के दिन सुहागिनों का बड़ा सैलाब उमड़ता है और यही कारण है कि यह देश के 108 तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में मां गौरी की पूजा पूरी विधि-विधान के साथ की जाती है. मां गौरी के साथ गणेश और उनके बाल स्वरूप में विराजने से इसका महत्व ओर भी बढ़ जाता है.

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ऐसे हुई मंदिर की स्थापना

पौराणिक कथाओं  अनुसार, बरवाड़ा के उतरी छोर पर 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर इसकी स्थापना 1451 में भीम सिंह ने एक स्वप्न से प्रभावित होकर की थी. कहते हैं कि 570 साल पहले आदिशक्ति चौथ भवानी को पहाड़ों की चोटी पर माघ कृष्ण चतुर्थी को विधि विधान से स्थापित किया था और तभी से लेकर आज तक करवाचौथ के दिन माता लक्खी मेला लगता है.

कहा रहने वाले निवासी हर शुभ काम से पहले चौथ माता के निमंत्रण देते हैं. प्रगाढ़ आस्था के चलते बूंदी राजघराने के समय से इसे कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है.