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Kalesar National Park: यमुनानगर के उत्तरी छोर पर स्थित कलेसर नेशनल पार्क में सन 1913 के बाद सन 2023 में बंगाल टाइगर दिखाई दिया है. 18 अप्रैल की रात करीब 11 बजकर 45 मिनट और 19 अप्रैल की देर रात 2 बजकर 46 मिनट पर टाइगर जंगल में लगे फ्लैश एंड क्लिक कैमरे में कैद हुआ. एक तरफ जहां 110 साल बाद कलेसर नेशनल पार्क में विलुप्त होता बंगाल टाइगर दिखने पर खुशी जताई जा रही है, तो वहीं आसपास आबादी क्षेत्र में भय का माहौल भी बना हुआ है.
फिर चर्चाओं में आया कलेसर नेशनल पार्क
हिमाचल और उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटा यमुनानगर जिले का कलेसर का नेशनल पार्क फिर से चर्चा में है. चर्चा की वजह है करीब 110 साल बाद नेशनल पार्क में दिखाने देने वाला बंगाल टाइगर. 18 अप्रैल और 19 अप्रैल की देर रात बंगाल टाइगर जंगल में चहल कदमी करते वक्त जंगल में लगे क्लिक एंड फ्लैश कैमरे में कैद हो गया. जब कैमरे की फुटेज देखी गई तो वहां कार्यरत कर्मचारियों ने इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी, जिसके बाद बीते कल वहां की दो फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी.
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वन मंत्री ने फोटो शेयर कर खुशी की जाहिर
हालांकि इस दौरान कई लोग इस अफवाह भी बता रहे थे, लेकिन कल शाम इन फोटो को जब वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने खुद के सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर किया तब जाकर कलेसर नेशनल पार्क में बाघ की चहलकदमी पर मुहर लगी. इस दौरान कंवरपाल ने खुशी जताते हुए कहा कि जिस तरह प्राकृतिक रुप से जंगली जानवरों का संरक्षण होना चाहिए उसकी ये बखूबी तस्वीर नेशनल पार्क से सामने आई है. उन्होने कहा कि 110 साल बाद हरियाणा के इस नेशनल पार्क में बाघ दिखना बड़े ही गर्व की बात है.
वहीं उन्होने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से भी यमुनानगर के इस क्षेत्र को लगातार विकसित किया जा रहा है. हथिनीकुंड में भी पर्यटन के बढ़ावे के लिए पार्क बनाया गया है. बता दें कि एक तरफ कलेसर नेशनल पार्क उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) से जुड़ा हुआ है. दूसरी तरफ हिमाचल के घने जंगलों से. अक्सर तीनों प्रदेशों के जंगली जानवर इधर से उधर विचरण करते रहते हैं.
माना जा रहा है कि ये बाघ भी उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क से इस तरफ आया है. वहीं बात करें तो कलेसर नेशनल पार्क में जंगल सफारी भी करवाई जाती थी, लेकिन कोरोना के समय जंगल सफारी बंद होने के बाद दोबारा शुरु नहीं हो पाई है. अब देखना होगा विलुप्त होती प्रजाति के 110 साल बाद दिखने पर क्या जंगल सफारी की तरफ दोबारा कदम उठाया जाएगा या नहीं.
(इनपुटः कुलवंत सिंह)