1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यूनेस्को की कॉन्फ्रेंस के लिए देश का पहला सरकारी फाइव स्टार होटल अशोक बनवाया था, अब इसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है, सरकार ने इस पर फैसला कर लिया है.
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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली का एक अहम हिस्सा माने जाने वाले अशोक होटल (Ashok Hotel) को अब जल्द ही निजी हाथों में सौंपा जा सकता है. सरकार ने इस पर फैसला कर लिया है, ऑपरेट-मेनटेन-डेवलप (OMD) मॉडल के तहत इसे आने वाले 60 सालों के लिए पट्टे पर दिया जाएगा और पीपी मॉडल के द्वारा होटल की 6.3 एकड़ जमीन को भी बेचा जाएगा, जिसमें लगभग 450 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
देश का पहला फाइव स्टार होटल
द अशोक होटल देश का पहला फाइव स्टार होटल है, इसके बनने के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है, दरअसल साल 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यूनेस्को के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस गए थे. इस दौरान उन्होंने यूनेस्को को भारत में अपनी अगली कॉन्फ्रेंस करने के लिए न्योता दे दिया. जब भारत में कोई भी ऐसी जगह नहीं थी जहां ये कॉन्फ्रेंस की जा सके. जब पीएम ने यूनेस्को की कॉन्फ्रेंस के लिए फाइव स्टार होटल बनाने का फैसला किया. 11 एकड़ में फैला यह होटल देश का पहला फाइव स्टार सरकारी होटल है. इसमें 550 कमरे, करीब दो लाख वर्ग फुट रिटेल एंड ऑफिस स्पेस, 30,000 वर्ग फुट बैंक्वेंट और कॉन्फ्रेंस फैसिलिटीज तथा 25,000 वर्ग फुट में फैले आठ रेस्तरां शामिल हैं.
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होटल बनाने में इनका रहा योगदान
देश की आजादी के बाद का वो शुरुआती दौर था, पीएम ने रियासतों के पूर्व शासकों को भी अपना सहयोग देने के लिए कहा और सभी ने 10 से 20 लाख रुपये का योगदान दिया. बचा हुआ सारा खर्चा केंद्र सरकार ने किया और इस तरह देश का पहला सरकारी फाइव स्टार होटल बनाया गया. इसको डिजाइन करने की जिम्मेदारी मुंबई के आर्किटेक्ट बीई डॉक्टर को दी गई थी.
मुगल स्मारक का प्रतिबिंब
अशोक होटल की नक्काशी बेहद भव्य है, इसके गुंबद मुगल स्मारकों से प्ररित हैं. इस होटल में कश्मीर सूट्स, राजपूत सूट्स, नटराज सूट और प्रेजिडेंशियल सूट भी है, साथ ही देश का सबसे बड़ा पिलर लेस कनवेंशन हॉल भी है. इसमें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, मार्गरेट थेचर, बिल क्लिंटन जैसे कई लोग आ चुके हैं और यहां पर कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.
ITDC के पास होटल का मालिकाना हक
अशोक होटल का मालिकाना हक अभी सरकारी कंपनी आईटीडीसी (ITDC) के पास है. इसे निजी हाथों में देने के बाद प्राइवेट पार्टनर को नए सिरे से विकास करने की अनुमति होगी, जिसके बाद इसे हेरिटेज होटलों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा.