Delhi Heat Wave: जनरल फिजिशियन डॉक्टर रवि मिल्लिक का कहना है कि हीटवेव लोगों के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकती है. गर्मी में लोगों को डिहाइड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है और इस वजह से उनके शरीर के अंदर बन रहे इलेक्ट्रोलाइट्स घट जाते हैं.
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Delhi Temprature: भारत में कुछ साल पहले एक ऐसा समय था जब गर्मी का मौसम अपने छुट्टियों के लिए मशहूर था. लोग गर्मी आने का बेसब्री से इंतजार भी किया करते थे. मगर जैसे-जैसे साल बीते जा रहे हैं वैसे-वैसे गर्मी लोगों के लिए खतरनाक बनती नजर आ रही है. पिछले साल जहां मार्च के महीने में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ी. वहीं इस साल अप्रैल के महीने में भी तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है. भारत के कई हिस्सों में हीटवेव को लेकर भी अलर्ट जारी किया गया है. इसी हीटवेव के ऊपर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) का एक डराने वाला रिसर्च सामने आया है.
दरअसल जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से हीट वेव जिसे लू (Loo) भी कहते है. भारत में रहने वाले 80 प्रतिशत लोगों के लिए खतरा बन रही है. अगर दिल्ली कि बात करें तो राजधानी दिल्ली भी इस मामले में काफी संवेदनशील है. पूरी राजधानी हीट इंडेक्स के लिहाज से डेंजर जोन में है. यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के डॉ रमित देबनाथ की एक स्टडी में किया गया है. इस रिपोर्ट को PLOS क्लाइमेट जर्नल में भी प्रकाशित किया गया है.
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पर्यावरण विशेषज्ञ मनु सिंह का कहना है कि भारत में क्लाइमेट चेंज का असर बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है. हीटवेव के पीछे एक बड़ा कारण इसको भी माना जा सकता है. जिस तरीके से भारत-पाकिस्तान और चीन जैसे देश अपने हिमालय क्षेत्रों से छेड़छाड़ कर रहे है, ग्लेशियर्स भी पिघलते नजर आ रहे हैं. उससे निश्चय ही आने वाले समय में लोगों के ऊपर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है. भारत में पर्यावरण को लेकर जो तमाम कॉन्फ्रेंस किए जाते हैं उसे इंप्लीमेंट भी करने की जरूरत है. मौसम और पर्यावरण कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका असर लोगों के ऊपर डायरेक्टली ओर इनडायरेक्टली दोनों तरीके से पड़ता है. बल्कि मैं भारत के 100% का हिस्सा हीटवेव से ग्रसित है.
रिसर्च में सामने आया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में लू लगातार और भी खतरनाक गति से बढ़ती नजर आ रही है. इसके अलावा देश का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लू के प्रभाव से डेंजर जोन में है. इसमें दिल्ली का पूरा इलाका भी शामिल है. अध्ययन में कहा गया है कि लू ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को पहले की तुलना में ज्यादा प्रभावित किया है.
जनरल फिजिशियन डॉक्टर रवि मिल्लिक का कहना है कि हीटवेव लोगों के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकती है. गर्मी में लोगों को डिहाइड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है और इस वजह से उनके शरीर के अंदर बन रहे इलेक्ट्रोलाइट्स घट जाते हैं. हीटवेव के दौरान लोगों के शरीर के अंदर डिहाइड्रेशन होता है और उनको कई समस्याओं जैसे हेडेक और अन्य बीमारियों का भी सामना करना पड़ सकता है. हीटवेव को इस तरीके से हल्के में लेना सेहत के लिए बहुत हानिकारक है. इससे बचने के लिए लोगों से यही सुझाव है कि घर से गैर जरूरी काम के लिए बाहर न निकले. सूती कपड़े पहनने की कोशिश करें. पानी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पिए. घर में अगर बच्चे और बूढ़े लोग हैं तो उन पर भी खास ध्यान देने की जरूरत है.
वहीं मौसम वैज्ञानिक नरेश कुमार ने कहा कि मौसम हर कुछ सालों पर बदलता रहता है. यह बात सच है कि क्लाइमेट चेंज कहीं न कहीं अपना असर दिखा रहा है और रोजाना मौसम की गतिविधियों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है. पिछले साल मार्च के महीने में काफी ज्यादा गर्मी पड़ी, कई रिकॉर्ड टूटे मगर इस साल मार्च के महीने में तापमान सामान्य रहा और बारिश भी देखने को मिली. आने वाले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्सों में हीटवेव को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. बिहार और वेस्ट बंगाल और कोंकण में भी गर्मी और हीटवेव को लेकर जानकारी दी गई है. दिल्ली की अगर बात करें तो आने वाले चार-पांच दिनों के अंदर तापमान 40 डिग्री के नीचे ही दर्ज किए जाने की संभावना है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन द्वारा वैज्ञानिक कमलजीत रे, एस एस रे, आर के गिरि और ए पी डिमरी के साथ लिखे गए एक पेपर के मुताबिक, हीटवेव ने भारत में 50 वर्षों में 17,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. 16 अप्रैल (रविवार) को नवी मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के एक पुरस्कार समारोह में हीटस्ट्रोक से लोगों की मौत हो गई, जिससे यह देश के इतिहास में हीटवेव से संबंधित किसी भी घटना से सबसे अधिक मौतों में से एक बन गया