आमदनी बढ़ाने के लिए किसान छोड़ रहे परंपरागत खेती, अब कर रहे 3 गुना ज्यादा कमाई
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आमदनी बढ़ाने के लिए किसान छोड़ रहे परंपरागत खेती, अब कर रहे 3 गुना ज्यादा कमाई

हरियाणा में किसान परंपरागत खेती छोड़ बागवानी की तरफ रुख कर रहे हैं. वहीं सोनीपत में किसान बेर का बाग लगाकर अपनी इनकम अब दो से 3 गुना तक कर चुके हैं. 

आमदनी बढ़ाने के लिए किसान छोड़ रहे परंपरागत खेती, अब कर रहे 3 गुना ज्यादा कमाई

राजेश खत्री/सोनीपत: हरियाणा सरकार हरियाणा सरकार किसानों की आमदनी को दोगुना करने के मकसद को लेकर प्रदेश का बागवानी विभाग किसानों को बाग लगाने के प्रति लगातार जागरूक कर रहा है. कुछ किसान तो ऐसे भी हैं जो बेर का बाग लगाकर अपनी इनकम अब दो से 3 गुना तक कर चुके हैं. उन्हें सरकार की तरफ से बाग लगाने के दौरान 25 हजार 500 रुपये सब्सिडी भी प्राप्त होती है.

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इन दिनों हरियाणा का किसान बागवानी की खेती के प्रति आकर्षित हो रहा है. अधिकतर किसान बाग लगाकर अच्छा मुनाफा ले रहे हैं और अपनी इनकम को भी दुगनी कर चुके हैं. एनसीआर सोनीपत में यह बाग दरिया का है, जिसने काफी मेहनत से इस बात को तैयार किया है और अब किसान काफी खुश है, क्योंकि उसकी इनकम दुगनी हो गई है. खासतौर से एक बार बाग को लगाने के दौरान उन्होंने काफी वर्षों तक इसका फल बेचकर अच्छी खासी कमाई कर रहा है. किसान बारु के मुताबिक बाग जब लगाया जाता है तो उसकी 2 साल तक देखभाल की जाती है और जब 3 वर्ष का पौधा हो जाता है तो वह फल देना शुरू कर देता है. किसान का मानना है कि एक बार बेरी का बाग लगाने के बाद वह 200 वर्ष तक बेर का फल ले सकता है. 1 एकड़ बेरी के बाग में ढाई से 3 लाख रुपये की वार्षिक इनकम भी किसान आसानी से ले सकता है.

बागवानी विभाग के अधिकारी भी बताते हैं कि किसानों को विभाग के माध्यम से समय-समय पर जागरूक किया जाता है. वहीं विभाग द्वारा अक्करित बागवानी विकास मिशन स्कीम को चलाया जा रहा है, जिसके तहत किसानों को बागवानी के प्रति जागरूक करते हुए उनकी आय को दुगन करने के मकसद को लेकर सब्सिडी दिया जाता है. खासतौर से अगर कोई किसान बेरी का बाग लगाता है तो उसे 25500 रुपये की सब्सिडी प्रति एकड़ बाग लगाने पर विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है, जिसको किसान 3 चरणों में प्राप्त करता है.

फिलहाल किसान बाग के प्रति अपनी दिलचस्पी लगातार बढ़ाते जा रहे हैं, क्योंकि बाग लगाने के बाद उस पर बार-बार खर्च करने की भी जरूरत नहीं होती और पानी भी कम ही देना पड़ता है. वह जमीन की गहराइयों से अपने आप पानी पौधा खींच लेता है, जिससे किसान का खर्चा भी कम होता है और बेर का बाग का फल सीजन में तो काफी महंगा भी बिक जाता है, जिससे किसान की आमदनी अच्छी होती है.

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