करनाल में इस बार होगी गेहूं की बंपर पैदावार, 70% किसानों ने अपनायी नई तकनीक
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1473019

करनाल में इस बार होगी गेहूं की बंपर पैदावार, 70% किसानों ने अपनायी नई तकनीक

इस साल हरियाणा के करनाल में गेहूं की बंपर पैदावार के कयास लगाए जा रहे हैं. राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ संस्थान करनाल ने बताया कि इस बार 70% किसानों ने नई किस्म के गेहूं की बुवाई की है.

करनाल में इस बार होगी गेहूं की बंपर पैदावार, 70% किसानों ने अपनायी नई तकनीक

कमरजीत सिंह/करनाल: करनाल देश में 2023 में गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है, क्योंकि नमी की भरपाई से इस बार किसानों ने ज्यादा क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की है. पिछले साल अधिक गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में थोड़ी कमी दर्ज की गई थी. गेहूं का ज्यादा उत्पादन विश्व के दूसरे नंबर के गेहूं उत्पादक देश भारत के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है, जिसके चलते मई में लगे गेहूं निर्यात को खोलने पर भी सरकार विचार कर सकती है. इसके साथ ही उच्च खुदरा महंगाई पर चिंताओं को कम करने में भी मदद मिलेगी.

ये भी पढ़ें: दिल्ली शराब नीति घोटाले में तेलंगाना CM की बेटी को CBI का समन, जानें क्यों लगे हैं आरोप?

करनाल स्थित राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार गेहूं का उत्पादन क्षेत्र पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी बढ़ा है. उच्च तकनीक के चलते देश के बंजर इलाकों में भी गेहूं उत्पादन के आसार बने हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार के मुकाबले इस बार 31.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई होने जा रही है. यह पिछले साल के मुकाबले डेड मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र अधिक है. इसके कारण इस वर्ष हम 112 मिलियन गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.

इस बार मौसम को देखते हुए जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं. हम यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार बीमारी की संभावना भी बहुत कम है. डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित नई किस्मों को इस बार 70% से अधिक किसानों ने अपनाया है, जो जलवायु प्रतिरोधी और बीमारी रहित हैं. उन्होंने कहा कि इस बार मध्यप्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में गेहूं का रकबा बढ़ा है.

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि उनके संस्थान ने एक ऐसी रोटरी ड्रिल मशीन विकसित की है, जो हर तरह के अनाज अवशेष को खेत में ही मिला देता है और इसके साथ हम सीधी बिजाई कर काफी बचत कर सकते हैं. इसके इस्तेमाल से पर्यावरण भी बचेगा साथ ही खेत को खाद भी मिलेगी, यह मशीन 24 घंटे और सातों दिन काम कर सकती है.