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Haryana News: हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने जेजेपी की ओर से उसके दो विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने का फैसला लिया है. याचिका में नरवाना के विधायक रामनिवास और बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है. जजपा ने दोनों विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने और भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगाया है.
यह याचिका जजपा के कार्यालय सचिव रणधीर सिंह की ओर से दायर की गई है. हालांकि याचिका हरियाणा विधानसभा (दल-बदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता) नियम 1986 के नियम 6 की अपेक्षा पर खरा नहीं उतरती. इसके बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के आधार पर याचिका पर सुनवाई करने का फैसला लिया है. उड़ीसा विधानसभा के अध्यक्ष बनाम उत्कल केशरी परिदा मामले में SC ने यह व्यवस्था दी है कि न केवल सदन का सदस्य, बल्कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति, इस तथ्य को विधानसभा अध्यक्ष के ध्यान में लाने का हकदार है कि सदन का कोई सदस्य भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य होना अपेक्षित है.
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हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 7(3) (ए व बी) के प्रावधानों का पालन करते हुए दोनों आरोपित विधायकों और जजपा विधायक दल के नेता को अपना पक्ष उनके सम्मुख रखने के निर्देश जारी किए हैं. उन्हें 4 सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखना होगा. इससे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की ओर से याचिका पर हरियाणा के महाधिवक्ता की भी राय ली गई. इस राय का अध्ययन करने के बाद याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है.
जजपा के कार्यालय सचिव की ओर दायर याचिका में कहा गया कि जजपा के नरवाना से विधायक रामनिवास और बरवाला से विधायक जोगी राम सिहाग ने लोकसभा चुनाव में सरेआम भाजपा का प्रचार किया. इस दौरान वे इस हद तक चले गए कि अपने मूल राजनीतिक दल जेजेपी के प्रतिनिधियों की आलोचना भी की. वे अनेक बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और अन्य भाजपा नेताओं के साथ स्पष्ट रूप से देखे गए. इस संबंध में उन्होंने अनेक मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया.
INPUT: VIJAY RANA