भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को महिलाएं संतान के सुखी जीवन के लिए हलषष्ठी का व्रत रखती हैं. इस साल 17 अगस्त को हलषष्ठी का व्रत रखा जाएगा.
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Hal Sashti 2022: भाद्रपद महीने की शुरुआत के साथ ही कई व्रत और त्योहार भी शुरू हो जाते हैं. इस महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्ठी का व्रत रखा जाता है. इसे अलग-अलग जगहों पर चंद्रषष्ठी, रंधन छठ, हलछट, बलदेव छठ और ललई छठ जैसे नामों से जाना जाता है. इस साल हलषष्ठी का व्रत 17 अगस्त बुधवार को रखा जाएगा. इस दिन को बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
षष्ठी तिथि 16 अगस्त मंगलवार को रात 8 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और 17 अगस्त रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के आधार पर हलषष्ठी का व्रत 17 अगस्त को मनाया जाएगा.
हलषष्ठी का महत्व
हलषष्ठी के दिन संतान की प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं. इसके साथ बलराम जयंती होने के कारण इस दिन खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा भी की जाती है.
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हलषष्ठी की पूजन विधि
हलषष्ठी के दिन महिलाएं सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेती हैं. इसके बाद घर के आंगन में मिट्टी की बेदी बनाकर उसमें आटे की चौक बनाती हैं. फिर झरबेरी, पलाश की टहनी और कांस की डाल को बांधकर चना, गेहूं, जौ, धान, अरहर, मूंग, मक्का और महुआ के साथ षष्ठी देवी की पूजा की जाती है. इस व्रत में महिलाएं अपने पुत्रों की संख्या के अनुसार बांस या मिट्टी के बर्तनों में अनाज या मेवा रखकर पूजा करती हैं.
हलषष्ठी के दिन हल से उपजाई चीजों को खाने की मनाही होती है
महिलाएं हलषष्ठी के व्रत में तलाब में उगे चावल (फसही) और भैंस का दूध और उससे बनी चीजों का उपयोग पूजा और व्रत खोलने में करती हैं.