NCERT Deletes Chapters: NCERT ने छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कक्षा 10वीं की किताबों से तत्वों, लोकतंत्र, राजनीतिक दलों और लोकतंत्र की चुनौतियों के अध्यायों को हटाया दिया है. NCERT के मुताबिक, शिक्षा नीति पढ़ाई के भार को कम करने और रचनात्मक मानसिकता के साथ सीखने पर जोर देती है.
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NCERT Deletes Chapters: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) एक बार फिर से चर्चा में बना हुआ है. हाल ही में NCERT ने इतिहास और राजनीति की किताबों में बड़ा बदलाव किया है. NCERT ने 10वीं के सिलेबस से पीरियोडिक टेबल, लोकतंत्र और विविधता, लोकतंत्र की चुनौतियों और राजनीतिक दलों के चैप्टरों को हटा दिया है और इसी की वजह से एनसीईआरटी सवालों के घेरे में है.
इतना ही नहीं इस बदलाव को लेकर NCERT ने अपनी तरफ से एक बयान भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि "कोविड-19 महामारी के मद्देनजर छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कक्षा 10वीं की किताबों से तत्वों, लोकतंत्र, राजनीतिक दलों और लोकतंत्र की चुनौतियों के अध्यायों को हटाया गया है." NCERT की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा नीति पढ़ाई के भार को कम करने और रचनात्मक मानसिकता के साथ सीखने पर जोर देती है.
क्लास 10 की किताबों से हटाए गए ये चैप्टर
NCERT ने 10वीं की सोशल साइंस की डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स बुक-2 से पीरियोडिक टेबल, लोकतंत्र और विविधता, लोकतंत्र की चुनौतियों और राजनीतिक दलों के अध्याय को हटा दिया है. बता दें कि इससे पहले NCERT ने 12वीं की पॉलिटिकल साइंस की किताब उन विवादित अध्यायों को हटाने की जानकारी दी थी जिसमें श्री आनंदपुर साहिब प्रस्ताव को कथित तौर पर खालिस्तान की मांग से जोड़ा गया था. तो वहीं, विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर के जीवन से संबंधित चैप्टर को सिलेबस में शामिल किया गया है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने की पुष्टि
आपको बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि SGPC ने इसे हटाने की मांग की थी. इसके बाद आधिकारिक तौर पर इसे हटा दिया गया है. मंत्रालय ने ये भी कहा कि NCERT की 12वीं की पॉलीटिकल साइंस की किताब में खालिस्तान का जिक्र था. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने पिछले महीने NCERT से यह मांग की थी. गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी का कहना था कि 12वीं क्लास की किताब से खालिस्तान के जिक्र को हटाया जाए. इसके अलावा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने यह भी मांग रखी थी कि पाठ्य पुस्तकों से किताबों से वे तथ्य भी हटाए जाएं जिनमें सिखों को अलगाववादी बताया जा रहा है.