18 साल पुराने केस में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO को 1 महीने की सजा, तत्काल कार्रवाई के आदेश
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18 साल पुराने केस में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO को 1 महीने की सजा, तत्काल कार्रवाई के आदेश

जिला उपभोक्ता फोरम में भूखंड आवंटन मामले में ग्रेनो के CEO को 1 महीने जेल की सजा सुनाई है. 2001 से चल रहे मामले में शनिवार को फैसला सुनाया गया.

 

18 साल पुराने केस में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के CEO को 1 महीने की सजा, तत्काल कार्रवाई के आदेश

नोएडा: जिला उपभोक्ता फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (NDA) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने के कारावास की सजा सुनाई है. उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया गया है. गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को सीईओ की गिरफ्तार के लिए वारंट जारी किया गया है. यह आदेश 18 वर्षों से चल रहे एक भूखंड आवंटी और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बीच चल रहे मुकदमे में आया. इसमें जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए 7 जनवरी को को नया आदेश पारित किया है.

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ग्रेनो प्राधिकरण ने महेश मित्रा नाम के व्यक्ति ने 2001 में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन पर भूखंड का आवंटन नहीं किया था. इसके खिलाफ उन्होंने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था. इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाते हुए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए. जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्तें लागू रहेंगी. इसके अलावा मुकदमे का हर्जा-खर्चा भी भरने का आदेश प्राधिकरण को दिया गया था.

जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की. अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया. राज्य आयोग ने फैसला दिया कि महेश मित्रा की ओर से प्राधिकरण में जमा किए गए 20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी. यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी. उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6 प्रतिशत ब्याज भी चुकाना होगा. राज्य आयोग के इस फैसले से विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई. महेश मित्रा ने राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया. पूरे मामले को सुनने के बाद राष्ट्रीय आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया. राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है. जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वह सही है.

राष्ट्रीय आयोग के फैसले पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अमल नहीं किया, जिसके खिलाफ महेश मित्रा ने एक बार फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. जिला फोरम ने कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को राष्ट्रीय आयोग के फैसले का अनुपालन करने के लिए आदेश दिए. अंततः 14 जुलाई 2017 को जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बैंक खाते कुर्क कर लिए. इस एक्शन के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य आयोग में अपील दायर की. राज्य आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया. जिला फोरम ने 18 अगस्त 2017 को प्राधिकरण के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से फोरम के सामने हाजिर होने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ भी प्राधिकरण ने राज्य आयोग से निरस्तीकरण आदेश हासिल कर लिया.

जिला उपभोक्ता फोरम ने 7 जनवरी को पारित आदेश में कहा है कि पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है. जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को नया आदेश पारित किया है. इसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई है. उन पर 2,000 का अर्थदंड लगाया गया है. सीईओ को गिरफ्तार करने के लिए गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को वारंट भेजा गया है. जिला फोरम की ओर से सीईओ को आदेश दिया गया है कि अगले 15 दिनों में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन किया जाए.

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