Haryana News: किसानों का कहना है कि झज्जर मंडी एक तो छोटी है और ऊपर से फसल का उठान बेहद धीमी गति के होने से मंडी में जगह नहीं बची है. किसानों का यह भी कहना है कि उन्हें अपनी फसल बेचने में और टोकन लेने में काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है.
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Jhajjar News: शासन और प्रशासन हमेशा समय पर फसल का उठान होने और समय पर किसान का भुगतान करने का लाखों दावे करता है. लेकिन इसमें सच्चाई यह है कि फसल का उठान बेहद धीमी गति से हो रहा है. वहीं किसान का उसकी फसल का भुगतान भी समय पर नहीं हो पा रहा है. बात की जाए झज्जर अनाज मंडी की तो इन दिनों गेंहू व सरसो की फसल की आवक से मंडी लबालब भरी पड़ी है. वाहन खड़ा करना तो दूर की बात किसानों के भी खड़ा होने की जगह मंडी में नहीं बची है. बात करे किसानों की तो किसानों और आढ़तियों दोनों ने ही प्रशासन और सरकार पर फसल के उठान में देरी करने का अरोप लगाया है.
फसल बेचने और टोकन लेने में होती है दिक्कत
बता दें कि किसानों का कहना है कि झज्जर मंडी एक तो छोटी है और ऊपर से फसल का उठान बेहद धीमी गति के होने से मंडी में जगह नहीं बची है. किसानों का यह भी कहना है कि उन्हें अपनी फसल बेचने में और टोकन लेने में काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है. वह सुबह 6 बजे ही टोकन लेने के लिए लाइन में आकर खड़े हो जाते हैं. लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. किसानों की परेशानी के सवाल पर संबंधित विभाग के अधिकारियों ने फसल के उठान की गति धीमी होने का मुख्य कारण नमी बताया है.
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उन्होंने कहा है कि फिर भी उनका प्रयास है कि किसी भी किसान को कोई परेशानी न होने दी जाए. उधर किसान हर रोज खराब हो रहे मौसम की गड़गड़ाहट से भी बेहद परेशान है. उनका कहना है कि यदि बरसात आती है तो झज्जर मंडी में खुले आसमान के नीचे पड़ा लाखों क्विंटल गेहूं पूरी तरह से खराब हो जाएगा. उधर मंडी में कई किसानों व आढ़तियों ने समय पर भुगतान न होने की भी बात कही है. उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ से सरकार 72 घंटे के भीतर उनकी फसल का पैसा उनके खातों में डालने की बात कहती है. वहीं दूसरी ओर समय अवधी बीत जाने के बाद भी उनकी फसल का भुगतान नही हो पाया है. आढ़ती व किसानों ने फसलों के उठान में तेजी लाने और किसान का पैसा उसके खाते में समय रहते डालने की भी बात कही है.
इनपुट- सुमित कुमार