Gold: लोग अपनी मेहनत की कमाई से सोना खरीदना पसंद करते हैं. किसी तरह की ठगी न हो जाए इसके लिए सरकार ने सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग जरूरी कर दी है.
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Gold Hallmark: सोने की ज्वेलरी खरीदने समय इस बात का ध्यान देना होगा कि ज्वेलरी हॉलमार्क की होनी चाहिए. भारतीय मानक ब्यूरो ( Bureau of Indian Standard) ने इसको जरूरी कर दिया है. त्योहार के इस सीजन में सोना (Gold) खरीदते समय ध्यान रखना होगा. इतना ही नहीं पुरानी ज्वेलरी पर भी आप हॉलमार्किंग का काम करवा सकते हैं. साथ ही बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी भी बेच सकते हैं. BIS ने यह हॉलमार्किंग का नियम पिछले साल जून 2021 में ही लागू कर दिया था.
ज्वैलर्स के लिए हॉलमार्किंग जरूरी
भारत सरकार ने बायर्स की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्क का निशान होना जरूरी बनाने का फैसला लिया था. दलअसल BIS की इस हॉलमार्किंग स्कीन ज्वैलर्स के लिए जरूरी होती है. उनको ज्वेलरी बेचने के लिए रेजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है. अगर आपके पास बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी है तो भी ज्वैसर्स उन्हें खरीद लेंगे. क्योंकि हॉलमार्किंग स्कीन ज्वैलर्स के लिए है बायर्स के लिए नहीं. एक बात और ध्यान में रखें कि ज्वैलर्स आपको बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेच नहीं सकते हैं.
हॉलमार्किंग के लिए देना होगा फिक्स अमाउट
अगर आप अपनी ज्वेलरी को हॉलमार्किंग करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको एक फिक्स शुल्क देना होगा. सरकार के मुताबिक अप्रैल 2022 से जुलाई 2022 तक करीह 3.7 करोड़ ज्वेलरी को हॉलमार्क किया गया. वहीं, साल 2021 से 2022 तक कुल 8.68 करोड़ ज्वेलरी की हॉलमार्किंग की गई.
हॉलमार्किंग क्यों है जरूरी?
भारत में ज्यादातर लोग प्रोप्ट्री खरीदने और सोना खरीदने में ही पैसा इनवेस्ट करते हैं. सोना खरीदने में किसी तरह की ठगी न हो जाए इसके लिए सरकार ने हॉलमार्किंग स्कीम को जरूरी किया था. इसी वजह से ज्वैसर्स को ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग निशान रखना जरूरी है. इसको हॉलमार्क केंद्र वाले 288 जिलों में इसके जरूरी किया गया है.