सामूहिक विवाह कार्यक्रम को संपन्न कराने के लिए 80 पंडितों, 50 से अधिक मौलवियों के अलावा 30 हजार से ज्यादा लोग शामिल थे. बैंड बाजों की धुन, वैदिक मंत्रोच्चार और निकाह पढ़ाने के दौरान कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है की आवाजों से वातावरण खुशनुमा नजर आया.
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पीयूष गौड़/गाजियाबाद : कमला नेहरू नगर ग्राउंड में आज उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित कन्या विवाह सहायता योजना के अंतर्गत पहले से पंजीकृत श्रमिकों की 3003 बेटियों के सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें हिंदू धर्म की 1850 बेटियों, 1147 मुस्लिम लड़कियां, 3-3 सिख और बौद्ध धर्म की बेटियां शामिल थीं.
सामूहिक विवाह कार्यक्रम को संपन्न कराने के लिए 80 पंडितों, 50 से अधिक मौलवियों के अलावा 30 हजार से ज्यादा लोग शामिल थे. सरकार की ओर दी गई सुविधाओं का लाभ लेने के लिए हापुड़, बुलंदशहर और गाजियाबाद के लाभार्थी मौजूद रहे. कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करने के लिए मथुरा से कलाकारों को बुलाया गया था. बैंड बाजे वाले भी मौजूद रहे. पंडाल में एक ओर वैदिक मंत्रोच्चार चल रहे थे, वहीं दूसरी ओर कुबूल है, कुबूल है, कुबूल है की आवाजों से वातावरण गंगा-जमुनी तहजीब में रंगा नजर आया.
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कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री अनिल राजभर, गाजियाबाद से सांसद व केंद्र राज्य मंत्री वीके सिंह, गाजियाबाद की मेयर आशा शर्मा सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे. मंत्री अनिल राजभर और राज्यसभा सदस्य वीके सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित कन्या विवाह सहायता योजना के अंतर्गत जब किसी श्रमिक द्वारा अपनी पुत्री का विवाह सामूहिक कार्यक्रम में कराया जाता है, तब श्रमिक को 75 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.
इसमें से 10 हजार विवाह से पहले वर-वधु की पोशाक के लिए दिए जाते हैं. सामूहिक विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित होने के बाद 65 हजार उनके खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं. सामूहिक विवाह कार्यक्रम में वर और वधु की ओर से पांच-पांच लोगों को आमंत्रित किया जाता है.अनिल राजभर का यह भी कहना है कि कल अयोध्या में भी सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन है.
दहेज के मामलों में आएगी कमी
नवविवाहित जोड़े भी सरकार की इस योजना से काफी खुश नजर आए और इसे योजना को लेकर लोगों को प्रोत्साहित करते दिखाई दिए. उनका कहना था कि कि इससे दहेज जैसे मामलों में भी कमी आएगी। निकाह पढ़ाने वाले मौलवी ने बताया कि दहेज प्रथा पर इस तरीके के आयोजन से रोक लगाई जा सकती है।