Father’s Day: क्या बच्चों की परवरिश के लिए पिता को भी मिलेगी Paternity Leave? एक्सपर्ट ने की सिफारिश
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Father’s Day: क्या बच्चों की परवरिश के लिए पिता को भी मिलेगी Paternity Leave? एक्सपर्ट ने की सिफारिश

अक्सर आपने सुना होगा कि बच्चों की परवरिश में मां सबसे बड़ा रोल निभाती है. मगर अब मां पर बच्चों की परवरिश का बोझ कम करने के लिए पितृत्व अवकाश को बढ़ाने की सिफारिश की है.

Father’s Day: क्या बच्चों की परवरिश के लिए पिता को भी मिलेगी Paternity Leave? एक्सपर्ट ने की सिफारिश

Father’s Day: अक्सर आपने सुना होगा कि बच्चों की परवरिश में मां सबसे बड़ा रोल निभाती है. मगर अब मां पर बच्चों की परवरिश का बोझ कम करने के लिए पितृत्व अवकाश को बढ़ाने की सिफारिश की है. एक्सपर्ट्स ने अपनी यह राय मातृत्व लाभ अधिनियम पर आयोजित "कानून समीक्षा परामर्श" में रखी और राष्ट्रीय महिला आयोग ने खुद इस बात की जानकारी दी है.

आयोग ने बताया कि सिफारिशों में पितृत्व अवकाश को बढ़ाने के अलावा नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना तथा अधिक महिला श्रमिकों को रोजगार देने के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र को संवेदनशील बनाना शामिल है. राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 और 2017 के संशोधन पर अंतिम कानून समीक्षा परामर्श का आयोजन किया था.

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आयोग ने आगे बताया कि इस बैठक का उद्देश्य महिलाओं को प्रभावित करने वाले कानून की समीक्षा और उसका विश्लेषण करना तथा किसी प्रकार की कमी, अपर्याप्तता और त्रुटियों में सुधार करने के लिए संशोधन की सिफारिश करना था.

जानें, भारत में कितने दिन का मिलता है  पितृत्व अवकाश

जानकारी के मुताबिक भारत में पितृत्व अवकाश 15 दिनों का मिलता है और केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस कानून को सख्ती से लागू करने की कोशिश करते हैं. लेकिन, इसके बाद भी कई प्राइवेट कंपनियों में ऐसा नहीं होता है. बच्चे के जन्म के 15 दिन पहले और   जन्म के 6 महीने तक पितृत्व अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है.

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जानें, एक्सपर्ट का सुझाव

बता दें कि पैनलिस्टों (panelists) की तरफ से दिए गए महत्वपूर्ण सुझाव पितृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाने के लिए थे ताकि बच्चों की परवरिश का बोझ माता-पिता दोनों के बीच समान रूप से बना रहे. इसी के साथ नियोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जा सके और  महिला श्रमिकों को रोजगार देने के लिए कॉर्पोरेट क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सके. NCW ने जानकारी देते हुए कहा कि विशेषज्ञों ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के मुद्दे पर चर्चा की. इसमें क्रेच सुविधाओं के प्रावधान और नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन की गुंजाइश पर भी चर्चा की गई.

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पूरे देश से मांगी राय

आपको बता दें कि आयोग ने पूरे देश से विशेषज्ञों के विचार पर राय मांगी है और उन्होंने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि कानूनी विशेषज्ञों, वकीलों और शिक्षाविदों को महिलाओं के सामने आने वाली वास्तविक चुनौतियों और तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आमंत्रित किया.

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