कल सुबह से पहुंचने पर भी मंडी में अपनी सरसों की फसल बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. कहीं चहेतों को टोकन दिये जा रहे हैं तो कहीं बैकडोर से वाहनों की मंडी में एंट्री करवाई जा रहा है. मंडी में किसानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं, पानी तक खरीदकर पीने को मजबूर हैं.
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Charkhi Dadri: चरखी दादरी की अनाज मंडी में अपनी सरसों की फसल लेकर पहुंचे किसान लंबी लाइनों को लेकर काफी परेशान दिखाई दिए. मंडी के गेटों पर करीब दो-दो किलोमीटर लंबी लाइनों में अपने वाहनों के साथ खरीद का इंतजार कर रहे किसानों का कहना हैं कि फसलों की कटाई करें या फिर काम-काज को छोड़कर भूखे-प्यासे अपने वाहनों के साथ लाइनों में खरीद का इंतजार करें. कल सुबह से पहुंचने पर भी मंडी में अपनी सरसों की फसल बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. कहीं चहेतों को टोकन दिये जा रहे हैं तो कहीं बैकडोर से वाहनों की मंडी में एंट्री करवाई जा रहा है. मंडी में किसानों के लिए कोई व्यवस्था नहीं, पानी तक खरीदकर पीने को मजबूर हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि मंडी अधिकारियों की तानाशाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है
किसान कहीं पेड़ों की छांव में बैठे हैं तो कहीं लाइन में लग रहे हैं. कोई किसान सुबह दो बजे से तो कोई चार बजे से पहुंचे हुए है. किसानों से सरकारी रेट पर हो रही खरीद को लेकर बात की तो उनका गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने खरीद प्रक्रिया में धांधली की सच्चाई बताई. उन्होंने कहा कि किसानों की तो खराब माटी कर रखी है. किसी ने भीतर सेटिंग कर रखी है, तो कोई अधिकारियों से मिलके अपना टोकन ले जा रहा है. हम अपने खेतों मे्ं गेहूं काटे या फिर यूं ही इंतजार करें. हम तो परेशान हो गए हैं. क्या करें फसल बेचकर. यहां पानी तक नहीं मिलता वो भी दुकान से खरीदकर पीना पड़ रहा है. खरीद के लिए मंडी के बाहर लगी वाहनों की लाइनों की यातायात व्यवस्था संभालने के लिए भी पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी
वहीं मंडी अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि खरीद सीजन के दौरान किसानों की संख्या बढ़ रही है. मंडी प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए हैं. पुलिस कर्मचारियों को यातायात व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किया गया है. फिर भी शेड्यूल बनाकर किसानों को बुलाने की व्यवस्था की जा रही है. जानकारी के अभाव में किसानों के वाहनों की संख्या बढ़ रही है.
Input: Pushpender Kumar