Phulera Dooj: शुभ कार्यों के लिए नहीं करें इंतजार, फुलेरा दूज पर है अबूझ मुहूर्त
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Phulera Dooj: शुभ कार्यों के लिए नहीं करें इंतजार, फुलेरा दूज पर है अबूझ मुहूर्त

Phulera Dooj 2024: फुलेरा दूज के दिन अबूझ मुहूर्त होता है. इसका मतलब है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए समय आदि देखने की जरूरत नहीं होती है. इस दिन आप बिना किसी से मुहूर्त पूछे शादी, नामकरण जैसे काम कर सकते हैं.

Phulera Dooj: शुभ कार्यों के लिए नहीं करें इंतजार, फुलेरा दूज पर है अबूझ मुहूर्त

Phulera Dooj 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है. सनातन धर्म में फुलेरा दूज के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने फूलों से होली खेली थी. यही वजह है कि इस दिन से ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृंदावन में होली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है. इसके साथ ही फुलेरा दूज का दिन सभी मांगलिक कार्यों के लिए भी बेहद शुभ माना जाता है. जानते हैं इस साल फुलेरा दूज का का पर्व कब मनाया जाएगा. 

फुलेरा दूज 2024 डेट (Phulera Dooj 2024 Date)
फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार,  फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 11 मार्च को सुबह 10 बजकर 44 मिनट से होगी और समाप्ति 12 मार्च को सुबह 7 बजकर 13 मिनट पर होगी. उदयातिथि के अनुसार फुलेरा दूज का त्योहार 12 मार्च को मनाया जाएगा.

पूजा का मुहूर्त- 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 25 मिनट से शाम 06 बजकर 50 मिनट तक

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इन कार्यों के लिए शुभ
फुलेरा दूज के दिन अबूझ मुहूर्त होता है. इसका मतलब है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए समय आदि देखने की जरूरत नहीं होती है.फुलेरा दूज के दिन आप बिना किसी से मुहूर्त पूछे शादी, नामकरण, गृहप्रवेश, मुंडन, वाहन खरीदना और नए कारोबार की शुरुआत आदि काम कर सकते हैं. 

फुलेरा दूज का महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने फूलों की होली खेली थी, यही वजह है कि ब्रज क्षेत्र में इस दिन से होली की शुरुआत मानी जाती है. भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी पर फूलों की बरसात कराई जाती है. साथ ही फुलेरा दूज के दिन श्री कृष्ण की पसंदीदा चीजों का भोग भी लगाया जाता है. इस दिन भगवान कृ्ष्ण को अबीर-गुलाल भी अर्पित किया जाता है और रंगीन कपड़े का छोटा सा टुकड़ा भी नंदलाल की कमर पर बांध दिया जाता है. यह इस बात का संकेत माना जाता है कि श्री कृष्ण अब होली खेलने के लिए तैयार हैं. 

Disclaimer- इस आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य सूचनाओं पर आधारित हैं. ZEE MEDIA इनकी पुष्टि नहीं करता है.  

 

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