Rajendra Nagar: हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ा, कहा-आप न पैसा वसूल पा रहे और न जरूरी चीजों पर खर्च कर पा रहे
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Rajendra Nagar: हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ा, कहा-आप न पैसा वसूल पा रहे और न जरूरी चीजों पर खर्च कर पा रहे

Delhi Coaching High Court: राजेंद्र नगर कोचिंग मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए. हाईकोर्ट ने एडमिनिस्ट्रेटिव इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की जरूरत बताते हुए एमसीडी कमिश्नर को तलब किया है.

Rajendra Nagar: हाईकोर्ट ने सरकार को लताड़ा, कहा-आप न पैसा वसूल पा रहे और न जरूरी चीजों पर खर्च कर पा रहे

Delhi Coaching Centre Case: राजेंद्र नगर स्थित राउ कोचिंग सेंटर में हुए हादसे के बाद बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि शुक्रवार तक राजेंद्र नगर में नालों पर किए सभी अतिक्रमण को शुक्रवार तक हटाया जाए. छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया. कोर्ट ने MCD से पूछा कि हलफनामा दायर कर बताएं कि अभी तक क्या एक्शन लिया है. कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर को शुक्रवार को होने वाली अगली सुनवाई में पेश होने को कहा. 

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि दिल्ली में कई एजेंसी हैं. इसका एक फायदा ये भी होता है कि कोई किसी बात के लिए जिम्मेदार होता ही नहीं है. अथॉरिटी के बीच आपस में आरोप प्रत्यारोप चलता रहता है. हाईकोर्ट ने एडमिनिस्ट्रेटिव इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की जरूरत बताते हुए कहा कि एमसीडी के पास फंड नहीं है तो वो एक्शन कैसे लेंगे.

दरअसल याचिकर्ता ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच, शिकायत पर कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने, राजधानी के हर जिले में अवैध कमर्शियल कंस्ट्रक्शन का पता लगाने के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी के गठन की मांग की है. वकील ने दलील दी कि पटेल नगर, करोल बाग, राजेन्द्र नगर जैसे स्थानों पर बहुत सी बहुमंजिला बिल्डिंग हैं. बड़ी संख्या में छात्र यहां रह रहे हैं. बेसमेंट का इस्तेमाल PG की तरह किया जा रहा है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दिल्ली में आग से हुई मौत की पुरानी घटनाओं का हवाला भी दिया.

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मुखर्जी नगर, मुनिरका, बेबी केयर हॉस्पिटल के आग की घटनाओं का जिक्र करते वकील ने कहा कि अथॉरिटी की उदासीनता का आलम ये है कि हम जंगल में रहने को मजबूर हैं. याचिकाकर्ता ने राउ आईएएस एकेडमी को लेकर पिछले दिनों एक छात्र की एमसीडी को भेजी शिकायत का जिक्र करते हुए कहा कि अगर उस समय पर समय रहते कार्रवाई होती तो छात्रों की जान बचाई जा सकती थी. वहीं सरकार की तरफ से पेश वकील ने बताया कि अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं. करीब 75 ऐसे संस्थानों को नोटिस जारी किया गया. इनमें से 35 को बंद किया गया है और 25 को सील कर दिया गया है. मैं अपने आप को सही सबित नहीं कर रहा पर अथॉरिटी की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है.

सुपरविजन सीनियर का काम पर एक्शन सिर्फ जूनियर पर क्यों

कोर्ट ने कहा कि सड़क से गुजरने वाले हर एक शख्स को आप गिरफ्तार कर रहे हैं पर एमसीडीअधिकारियों पर आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. इस पर सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि कुछ एमसीडी अधिकारियों को इस घटना के बाद बर्खास्त किया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा आपने जिन अधिकारियों पर कार्रवाई है, वो जूनियर अफसर हैं. उन सीनियर अफसर का क्या, जिनका जिम्मा सुपरविजन का है. कभी सीनियर अधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए पर वो अपने AC रूम से निकलने को तैयार नहीं हैं. आपको पहले इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारना होगा, तब बिल्डिंग नियमों में छूट दे सकते हैं.

...तो केंद्रीय एजेंसी को भी सौंप सकते हैं जांच 

हाईकोर्ट ने कहा कि इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है तो आप कह रहे हैं कि एक्शन लेंगे. लोगों की जिंदगी कीमती है. इस तरह से किसी की जान नहीं जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा, ऐसा हो ही नहीं सकता कि कहीं कंस्ट्रक्शन हो रहा है और अधिकारियों को पता ही न हो. इस बारे में कोई भी बहाना सिर्फ अपनी गलतियों को छुपाने का तरीका है. अगर जांच अधिकारी सही तरीके से जांच नहीं करेंगे तो हम किसी केंद्रीय एजेंसी को भी जांच सौंप सकते हैं. हम चाहते हैं कि इस मामले में जिम्मेदार लोगों की जवाब देही सुनिश्चित हो. जहां तक गैरकानूनी लाइब्रेरी का सवाल है, हम कमिश्नर को तलब करेंगे.

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सरकार सिर्फ फ्रीबिज कल्चर को बढ़ावा देने में लगी

कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए पूछा कि दिल्ली पुलिस कहां है. वो खुद क्या कर रही है. इतना ज्यादा पानी कैसे वहां इकट्ठा हो गया. कोर्ट ने सरकार से कहा, अभी दिल्ली का इन्फ्रास्ट्रक्चर का जो ढांचा है, वो मौजूदा जरूरत के मुताबिक नहीं है. आप मल्टीस्टोरीज बिल्डिंग की इजाजत दे रहे हैं पर ड्रेन की समुचित व्यवस्था नहीं है. सरकार फ्रीबिज कल्चर को बढ़ावा देने में लगी है. आप न तो लोगों से पैसा वसूल पा रहे हैं और न ही उसे जरूरी चीजों पर खर्च कर पा रहे हैं.

MCD खुद है दिवालिया तो कैसे सुधरेगा इंफ्रास्ट्रक्चर 

कोर्ट ने कहा कि MCD की हालत ऐसी है कि अगर हम उसे कुछ करने के लिए कहते ह तो वे कहते हैं कि 5 करोड़ से ज्यादा का फंड स्टैंडिंग कमेटी के पास जाएगा और अभी कोई स्टैंडिंग कमेटी वजूद में नहीं है. दिल्ली HC ने नराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर सिविक बॉडी खुद दिवालिया है और अपने कर्मचारियों को देने के लिए उनके पास पैसा नहीं है, तो इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए पैसा कहां से आएगा. कोर्ट ने ड्राइवर की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि MCD इस मामले में दोष दूसरो पर मढ़ने की कोशिश कर रही है. ड्राइवर को क्यों गिरफ्तार किया गया है. उसकी क्या जिम्मेदारी थी. 

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