दिल्ली पुलिस ने किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का किया भंडाफोड़, 10 को किया गिरफ्तार
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दिल्ली पुलिस ने किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का किया भंडाफोड़, 10 को किया गिरफ्तार

पुलिस ने 26 मई को मानव अंग का प्रत्यारोपण के तहत FIR दर्ज की. जांच शुरू की तो पिंटू कुमार यादव की निशानदेही पर पुलिस टीम सर्वजीत जेलवाल और रघु शर्मा तक पहुंची जब उनसे सख्ती से पूछताछ की गई तो पता चला कि रघु शर्मा की किडनी ऑलरेडी सरबजीत और उसके गैंग ने ले ली है.

दिल्ली पुलिस ने किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का किया भंडाफोड़, 10 को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 2 डॉक्टर भी शामिल थे. आरोपियों की पहचान कुलदीप रे विश्वकर्मा, सर्वजीत जेलवाल (37), शैलेश पटेल (23), मोहम्मद लतीफ (24), विकास (24), रंजीत गुप्ता (43), डॉ. सोनू रोहिल्ला (37), डॉ. सौरभ मित्तल (37), ओम प्रकाश शर्मा (48) और मनोज तिवारी (36) के रूप में की गई है. दिल्ली पुलिस के अनुसार 26 मई को साउथ दिल्ली के हौज खास पुलिस स्टेशन में एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि इलाके में एक किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट ऑपरेट हो रहा है. ये लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को किडनी बेचने के लिए कांटेक्ट करते है और उसकी किडनी ऊंचे दामों पर अमीर और ऐसे शख्स को बेच देते है, जिसको किडनी की जरूरत होती है.

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मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने कार्रवाई की, जिसके बाद मुखबिर के कहने पर उस शख्स की शिनाख्त हो गई, जिसे रैकेट का आदमी फ्री एनेस्थीसिया चेकअप के लिए हौज खास इलाके की लैब में ले जाता है. इस सूचना पर निजी लैब के आसपास जाल बिछाया गया. पुलिस को पिंटू यादव नाम के शख्स के बारे में पता चला, जिसके बाद उसने पुलिस को बताया कि उसे सरबजीत और विपिन नाम के शख्स को पेट में दर्द के ट्रीटमेंट के नाम पर एक लैब में गए थे, लेकिन जैसे ही उसको यह आभास हुआ कि वहां उसे किडनी डोनेशन के नाम पर ले गए हैं तो उनसे उसका झगड़ा हो गया और वो वहां से भाग गया.

इसके बाद पुलिस ने 26 मई को मानव अंग का प्रत्यारोपण के तहत FIR दर्ज की. जांच शुरू की तो पिंटू कुमार यादव की निशानदेही पर पुलिस टीम सरबजीत जेलवाल और रघु शर्मा तक पहुंची जब उनसे सख्ती से पूछताछ की गई तो पता चला कि रघु शर्मा की किडनी ऑलरेडी सर्वजीत और उसके गैंग ने ले ली है. रघु शर्मा की निशानदेही पर ए ब्लॉक डीडीए फ्लैट पश्चिम विहार से 4 पीड़ितों से बातचीत की. इस दौरान पुलिस को पता लगा कि इन तीनों के पास से किडनी ट्रांसप्लांटेशन और कुछ मेडिकल डाक्यूमेंट्स मिले, जिनके सभी प्री मेडिकल टेस्ट इस गैंग ने करवा लिए थे. पीड़ित किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए जा ही रहे थे कि पुलिस वहां पहुंच गई और मामले की सारी जानकारी दी.

गरीबों की मजबूरी का उठाते थे फायदा
पुलिस को पूछताछ में पता चला कि शैलेश पटेल ऐसे जरूरतमंद लोगों को तलाश करता था, जिनको किडनी की जरूरत होती थी. इन्होंने बताया कि ये जरूरतमंद और गरीब लोगों को टारगेट करते थे. किडनी बेचने के लिए विकास और एक डॉक्टर उन्हें 30 से 40,000 रुपये प्रति किडनी देता था. पूछताछ में इन्होंने टेस्टिंग सेंटर की जगह का खुलासा किया जहां पर किडनी को ट्रांसप्लांट किया जाता था. यहां इनके दूसरे साथियों द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट की जाती थी. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद विपिन और विकास उस शख्स को पेमेंट करते थे. 

पुलिस के साथ एफएसएल (FSL) की टीम ने हरियाणा के गोहाना के उस अस्पताल पर रेड की जहां पर यह सारा इलीगल किडनी ट्रांसप्लांटेशन होता था. यहां झोलाछाप डॉक्टर सोनू रोहिल्ला पाया गया, जो कि इस अवैध काम को कुछ बड़े अस्पताल के डॉक्टर्स और टेक्नीशियन की मदद से अंजाम देता था. एफएसएल (FSL) की टीम ने पूरे हॉस्पिटल की जांच की और झोलाछाप डॉक्टर सोनू रोहिल्ला को गिरफ्तार किया गया. इस गिरफ्तारी के बाद एक और आरोपी डॉ. सौरभ मित्तल को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया जो कि दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में एनएसथीसियोलॉजिस्ट का काम करता है और जो इस इलीगल ट्रांसप्लांटेशन में भी एक आरोपी है.

इसके बाद तीन और आरोपियों कुलदीप रे, ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी को भी अरेस्ट किया गया. ये सब भी दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में डॉक्टर सौरभ मित्तल के साथ ओटी टेक्नीशियन का काम करते हैं, जब जांच को आगे बढ़ाया गया तो पता चला कि इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड कुलदीप है. जोकि लोगों को इस किडनी ट्रांसप्लांटेशन के लिए समझाता है और इस अवैध काम को अंजाम देने के लिए सोनू रोहिल्ला के क्लीनिक का इस्तेमाल करता है. 

दिल्ली पुलिस के मुताबिक कुलदीप रे ही सभी लोगों को उनके रोल के मुताबिक पैसा भी देता था. पूछताछ में उसने बताया कि पिछले 6 से 7 महीनों में सोनीपत के गोहाना में 12 से 14 इलीगल किडनी ट्रांसप्लांटेशन कर चुका है. ये और बाकी सभी आरोपी दिल्ली के बड़े अस्पताल में ओटी टेक्नीशियन का काम करते हैं, जहां पर इन्होंने कई लोगों के ट्रांसप्लांटेशन किया है. यह लोग पीड़ित और डोनर से फेसबुक के अलग-अलग माध्यमों से कांटेक्ट करते थे. पूछताछ में इन्होंने यह भी बताया कि यह लोग 20 से 30 साल के लड़कों को टारगेट किया करते थे, जोकि पैसा कमाने का सपना देखते हैं. यह उनकी रेगुलर काउंसलिंग भी करते थे और उनको कंवेंस करते थे कि वह अपनी किडनी बेच दें. यह गिरोह अभी तक 20 किडनी ट्रांसप्लांट कर चुके हैं.