Delhi News: उस्मानपुर में बाढ़ पीड़ितों को प्रशासन की तरफ से नहीं दी जा रही मदद, जानें इनका हाल
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Delhi News: उस्मानपुर में बाढ़ पीड़ितों को प्रशासन की तरफ से नहीं दी जा रही मदद, जानें इनका हाल

Delhi Flood Victims: उस्मानपुर तीसरा पुस्ता इलाके में बाढ़ पीड़ितो ने प्रशासन और सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा न पीने का पानी, न खाने की कोई सुविधा, न टॉयलेट की कोई बंदोबस्त. यहां खुले में शौच करने को मजबूर महिलाएं बच्चे और पुरुष. इलाके के जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं देते हैं.

Delhi News: उस्मानपुर में बाढ़ पीड़ितों को प्रशासन की तरफ से नहीं दी जा रही मदद, जानें इनका हाल

Delhi News: एक तरफ दिल्ली सरकार बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के लंबे चौड़े दावे कर रही है तो वहीं उत्तर पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर तीसरा पुश्ता पर मौजूद बाढ़ पीड़ितों का कोई हाल पूछने वाला नहीं है. जिसकी वजह से पीड़ितों ने अपनी मदद खुद करने की ठानी और यहां अपने और परिवार के लिए खुद ही व्यवस्था बनाई है. हालत यह है कि बाढ़ पीड़ित यहां खाने से लेकर पीने के पानी तक की किल्लत से जूझ रहे हैं. पीड़ितों का साफ कहना था कि सरकार, प्रशासन उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है. इस वजह से उनके परिवार के सामने जीवन यापन की समस्या खड़ी हो गई है. पीड़ितों की मांग है कि जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए.

दिल्ली में अब यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे घटने लगा है और निचले इलाकों से भी बाढ़ का पानी उतर गया है. बाढ़ पीड़ित अब अपने आशियाने की तरफ लौटने लगे हैं, लेकिन बहुत से बाढ़ पीड़ित लोग अब भी सड़कों के किनारे शरण लिए हुए हैं. एक तरफ तो दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने की बात करती है. वहीं दूसरी ओर उत्तर पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर तीसरा पुस्ता इलाके की सड़क पर बाढ़ पीड़ित लोग खुद अपना गुजारा चला रहे हैं. यहां बाढ़ पीड़ित लोग सड़क के किनारे अपनी खुद के सहारे अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं.

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इन बाढ़ पीड़ित लोगों का आरोप है कि ना तो सरकार की तरफ से कोई सुविधा मिल रही है ना पीने का पानी सरकार की तरफ से मिल रहा है. उन्हें टॉयलेट, बाथरूम जाने की कोई सुविधा दी गई है. वहीं कभी-कभी मानव सेवा करने वाले लोग उन्हें खाने पीने के लिए दे जाते हैं. कभी-कभी उन्हें भूखा भी सोना पड़ता है. उस्मानपुर तीसरा पुस्ता की मेन सड़क के किनारे पर बाढ़ पीड़ित भयंकर गर्मी में तिरपाल से बने आशियाने में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. उमस भरी इस गर्मी में हाथ के पंखों द्वारा अपने बच्चों की हवा करके अपना जीवन काट रहे हैं. साथ ही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार की तरफ से इन्हें कोई मदद मिल पाए.

Input: राकेश चावला