बुजुर्गों से ज्यादा बच्चों के लिए खरतनाक है प्रदूषण, जानें इससे बचने के उपाय
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बुजुर्गों से ज्यादा बच्चों के लिए खरतनाक है प्रदूषण, जानें इससे बचने के उपाय

 दिल्ली समेत कई राज्यों में प्रदूषण बढ़ गया है. इसकी वजह से बच्चों में यह ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता हैं. जिसके लिए घर मे कुछ उपाय कर सकते हैं. 

बुजुर्गों से ज्यादा बच्चों के लिए खरतनाक है प्रदूषण, जानें इससे बचने के उपाय

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. इससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और नाजुक अंगों में से एक फेफड़े हैं. देखा जाए तो फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की वजह से मौतें ज्यादा होती हैं. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) लोवर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, कैंसर (Cancer-फेफड़ों का कैंसर दूसरे स्थान पर है) और ट्युबरक्लोसिस (Tuberculosis- TB)जैसी गंभीर बीमारियां होती है. बढ़ते प्रदूषण से बीमारियों होने के कारण ज्यादा बढ़ जाते हैं.

वायु प्रदूषण का खतरा किस में सबसे ज्यादा
फेफड़े. दिल और डायबिटीज के मरीज
बच्चे और बुजुर्ग
गर्भवति महिलाएं
दूषित वातावरण में ज्यादा समय बिताने वाले लोग

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बच्चों में प्रदूषण ज्यादा खतरनाक
बता दें कि प्रदूषण का असर बड़ों से ज्यादा छोटे बच्चों में देखने को मिलता है. बच्चों की सांस लेने की दर बड़ों से अधिक होती है, यही कारण है कि बच्चे बड़ों की मात्रा में सांस लेने के जरिये ज्यादा प्रदूषण अंदर ले लेते हैं. बच्चों के फेफड़े अभी विकसित हो रहे हैं इसलिए थोड़ा सा भी प्रदूषण बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है. कई लोगों को धूल, मिट्टी की एलर्जी से अचानक ही दौरा पड़ने की स्थिति हो जाती है, उन्हें इमरजेंसी में दवाएं अपने पास रखनी चाहिए. इसलिए बच्चों और बुजुर्गो का इस समय खास ध्यान रखने की जरुरत है.

प्रदूषण से होता है फेफड़ों का कैंसर 
दूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों के काम करने की क्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता है. वो समय से पहले ही कमडोर होने लगते हैं. लगातार टॉक्सिन्स और प्रदूषकों के संपर्क में रहने से फेफड़े खराब हो सकते हैं.  WHO की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (International Agency for Research of Cancer-IARC) की मानें तो  वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है.

प्रदूषण से कैसे बचें
घर से बाहर न जाएं
बच्चे और बुजुर्गों को जरूरी काम पड़ने पर ही घर से बाहर निकलने दें. धूल मिट्टी वाली जगहों पर बिल्कुल जाने से बचें. शाम को बाहर टहलने से भी बचें. 

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मास्क जरूर लगाएं
घर से बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं. अपने मुंह को अच्छी तरह से ठक कर निकलें. ज्यादा प्रदूषण है तो आप अपनी आंखों को भी जरूर कवर करें. प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों पर या दिल पर ही नहीं आखों पर भी गहरा असर कर रहा है.

काढ़े का सेवन करें
तुलसी प्रदूषक तत्वों को खोखती है. घर में इसका पौधा जरूर लगाएं और साथ में 2-4 पत्तियों का सेवन भी करें. सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप इसके बने काढें का सेवन करें. 

हल्दी का सेवन करें
हल्दी एक एंटीऑक्सीडेंट है. इसे घी के साथ मिलाकर लेने से काफी फायदा होता है और साथ ही हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं. इससे प्रदूषण की वजह से होने वाली कफ में आराम मिलेगा और साथ ही यह अस्थमा अटैक में सहायता करता है.