Delhi Money Laundring Case: तिहाड़ में बंद सत्येंद्र जैन बन गए हड्डियों का ढांचा, सुप्रीम कोर्ट से मांगी जमानत
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Delhi Money Laundring Case: तिहाड़ में बंद सत्येंद्र जैन बन गए हड्डियों का ढांचा, सुप्रीम कोर्ट से मांगी जमानत

Delhi News: मनी लॉन्ड्रिंग केस में करीब एक साल से तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन का 35 किलो वजन घट गया है. इसको लेकर उनके वकील ने SC ने याचिका दायर की है.

 

Delhi Money Laundring Case: तिहाड़ में बंद सत्येंद्र जैन बन गए हड्डियों का ढांचा, सुप्रीम कोर्ट से मांगी जमानत

Delhi News: मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने जैन को इजाजत दी है कि आगे याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए अवकाशकालीन बेंच से आग्रह कर सकते हैं. सत्येंद्र जैन पिछले करीब एक साल से जेल में बंद हैं.

सत्येंद्र जैन की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. इस दौरान सिंघवी ने कहा कि सत्येंद्र जैन की हालत नाजुक है. जेल में रहते हुए उनका तकरीबन 35 किलो वजन घट गया है. वो हड्डियों का ढांचा भर रह गए हैं. सिंघवी ने जैन की बेहद खराब हालत का हवाला देते हुए सुनवाई के लिए अवकाशकालीन बेंच से आग्रह करने की इजाजत मांगी है. वहीं ED की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू पेश हुए. राजू ने कहा कि  ED ने भी कैविएट दायर की है.

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सत्येंद्र जैन पर कई कंपनियों के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. ईडी का आरोप है कि सत्येंद्र जैन के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कई कंपनियों ने शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये लिए. इन कंपनियों को हवाला के जरिये से कोलकाता के एंट्री ऑपरेटरों से नकद रकम हासिल हुई थी. यानी कोलकाता से ऑपरेट करने वाले हवाला कारोबारियों ने नगद रकम हासिल की, जिसे शेल कंपनियों के जरिये सत्येंद्र जैन से जुड़ी कंपनियों को ट्रांसफर किया गया.

इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 अप्रैल को सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि सत्येंद्र जैन प्रभावशाली शख्सियत है, जिस तरह का व्यवहार कस्टडी के दौरान रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि जमानत मिलने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. गवाहों के बयान से साफ है कि सत्येंद्र जैन ही इस पूरे मनी लॉन्ड्रिंग ऑपरेशन के कर्ताधर्ता थे. हाईकोर्ट का ये भी कहना था कि कंपनियों के शेयर होल्डिंग पैटर्न से साफ है कि सत्येंद्र जैन और उनका परिवार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन कंपनियों को कंट्रोल कर रहा था. वहीं कंपनी का शेयर पैटर्न उलझा हुआ है, इसकी पूरी जांच की जरूरत है.

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