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नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने केंद्रीय गृह सचिव को एक पत्र लिखा है और दिल्ली पुलिस के कामकाज में सुधार के लिए विभिन्न उपायों की सिफारिश की है. आयोग अध्यक्ष ने 20 साल की एक लड़की की मौत का मामला उठाया है, जिसकी नए साल की रात में दिल्ली के कंझावला इलाके में एक कार से कुचलकर मौत हो गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लड़की को कार में 12 किलोमीटर तक घसीटा गया और उसकी नग्न शव दिल्ली की सड़कों पर मिला. नए साल की रात हुई यह जघन्य घटना राजधानी में पुलिस की कार्यप्रणाली पर फिर से गंभीर चिंता पैदा करती है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने गृह मंत्रालय को 'निर्भया' के जघन्य गैंग रेप केस की याद दिलाई है और कहा है कि तब से अब तक कुछ भी नहीं बदला. दिल्ली में औसतन प्रतिदिन 6 से अधिक बलात्कार हो रहे हैं. यहां तक कि राजधानी में एक 8 महीने की बच्ची और 90 साल की एक महिला के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया है.
स्वाति मालीवाल ने अपना विचार व्यक्त किया है कि राजधानी राज्य में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ उच्च अपराध दर के लिए पुलिस के संसाधनों और जवाबदेही की कमी प्रमुख कारण हैं. उन्होंने कहा है कि अप्रैल 2018 में, उन्होंने देश में बच्चों के बलात्कार के बढ़ते मामलों के खिलाफ भूख हड़ताल की थी. उनकी भूख हड़ताल के 10 दिनों के बाद, केंद्र सरकार ने उनकी मांग को स्वीकार करते हुए एक अध्यादेश पारित किया, जिसमें बच्चों के बलात्कारियों के लिए फास्ट ट्रैक मुकदमे और मृत्युदंड का प्रावधान था. हालांकि इन परिवर्तनों को ठीक से लागू नहीं किया गया था जिसके कारण उन्हें दिसंबर 2019 में एक और भूख हड़ताल करनी पड़ी जो 13 दिनों तक चली.
दिसंबर 2019 में अमित शाह जी ने दिल्ली डीसीडब्ल्यू प्रमुख को एक पत्र भी लिखा था जिसमें उन्होंने भूख हड़ताल के दौरान उनके प्रयासों को संज्ञान में लिया था और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सहयोग का आश्वासन दिया.
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आज दिल्ली की महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अभूतपूर्व अपराधों का सामना कर रही है. स्थिति अत्यंत गंभीर है और इससे निपटने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय किए जाने की आवश्यकता है. इस संबंध में आयोग ने पुलिस के कामकाज में सुधार के लिए गृह सचिव को कुछ उपाय करने की सिफारिश की है. आयोग ने गृह मंत्री ने भारत सरकार की अध्यक्षता में गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की सिफारिश की है जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, गृह सचिव भारत सरकार, पुलिस आयुक्त और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष को महीने में एक बार बैठक करने और राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक समन्वित रणनीति बनाने का अधिकार हो.
आयोग ने दिल्ली पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने और राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराधों से संबंधित मुद्दों पर अपने अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की सिफारिश की है. आयोग ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय को कंझावला मामले में उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके एक उदाहरण पेश करना चाहिए जो दिल्ली की सड़कों पर 12 किलोमीटर तक लड़की को घसीटते हुए बचाने में नाकाम रहे.
DCW प्रमुख ने दिल्ली पुलिस में मानव संसाधन बढ़ाने की भी सिफारिश की है. वर्तमान में, संसाधनों की कमी के कारण दिल्ली पुलिस कर्मियों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है और सैकड़ों मामलों को संभालना पड़ता है. दिल्ली पुलिस ने 20 साल पहले सरकार से 66 हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की मांग की थी. वही उन्हें आज तक प्रदान नहीं किया गया! अप्रैल 2018 में डीसीडब्ल्यू प्रमुख की भूख हड़ताल के बाद दिल्ली के लिए 3000 अतिरिक्त पुलिस बल स्वीकृत किए गए. साथ ही आयोग ने महिला पुलिस कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की है, जो पुलिस बल का मात्र 9 प्रतिशत है, उसको भी बढ़ाया जाना चाहिए.
इसके अलावा, मीडिया रिपोट मे पता चला है कि कंझावला मामले में चश्मदीद गवाहों ने दिल्ली पुलिस की हेल्पलाइन नंबर पर कई कॉल किए, लेकिन कथित तौर पर कई घंटों तक कोई पीसीआर वैन मौके पर नहीं पहुंची. डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने इसे अस्वीकार्य करार दिया है और सिफारिश की है कि दिल्ली पुलिस की पीसीआर इकाई को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि वह आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए सक्षम हो.
स्वाति मालीवाल ने कहा है कि देश इस साल G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है और सरकार को राजधानी में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा है कि हमें इस साल राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराधों को समाप्त करने के लिए मजबूत कदम उठाने का संकल्प लेना चाहिए.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, “दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर है क्योंकि यह महिलाओं और लड़कियों के लिए असुरक्षित होती जा रही है. आयोग ने बार-बार पुलिस बल की कार्यप्रणाली में सुधार का मुद्दा उठाया है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. केंद्र सरकार को तत्काल पुलिस की जवाबदेही तय करनी चाहिए और दिल्ली पुलिस के संसाधनों में वृद्धि करनी चाहिए. आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों को सरकार द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए और इन पर गंभीरता से काम करना चाहिए.