ऐसी वैक्सीन, जो कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगवा चुके लोग भी लगवा सकेंगे. नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जिससे इंफेक्शन घटता है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकार ने भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल कर लिया है. जल्द ही लोग गोविंद प्लेटफार्म के जरिये इस वैक्सीन को बुक करा सकेंगे.
इंट्रा नेजल यानी कि नाक के जरिये ड्रॉप डालकर इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जा सकेगा. 2-2 बूंद नाक के दोनों छेद में डाल दी जाएंगी. 18 वर्ष से ऊपर के लोग, जिन्होंने बूस्टर डोज नहीं ली है, वह इस वैक्सीन को ले सकते हैं. इस वैक्सीन का वैज्ञानिक नाम BBV154 है. बाद में भारत बायोटेक ने इसे iNCOVACC नाम दिया.
एम्स में कोविड वैक्सीन रिसर्चर डॉ संजय राय के मुताबिक नेजल वैक्सीन पर दो तरह के ट्रायल चल रहे थे. पहला ट्रायल कोरोना की दो डोज वाली प्राइमरी वैक्सीन को लेकर चल रहे थे और दूसरे ऐसी बूस्टर डोज के तौर पर, जो कोविशील्ड और कोवैक्सिन लगाने वाले दोनों तरह के लोगों को लगाई जा सके.
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इन दोनों के ही तीसरे चरण के ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल पूरे हो गए हैं. कोरोना की दो डोज वाली नेजल वैक्सीन के ट्रायल 3100 लोगों पर किए गए. भारत में 14 जगहों पर ये ट्रायल हुए हैं. हेटेरोलोगस बूस्टर डोज के ट्रायल 875 लोगों पर हुए और भारत की 9 जगहों पर ये ट्रायल किए गए. दोनों स्टडी में प्रतिभागियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई.
आखिर क्या है हेटेरोलोगस बूस्टर डोज
हेटेरोलोगस बूस्टर डोज यानी ऐसी वैक्सीन, जो कोवैक्सीन और कोविशील्ड लगवा चुके लोग भी लगवा सकेंगे. शुरुआती नतीजों के मुताबिक नाक से दी जाने वाली ये वैक्सीन श्वास नली और फेफड़ों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज पैदा कर सकती है, जिससे इंफेक्शन घटता है. हालांकि इसकी और स्टडी भी की जा रही है.
इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी सेंट् लुईस के साथ मिलकर बनाया है. भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के तहत इस वैक्सीन के लिए आंशिक फंडिंग की है.
कई राज्यों में तैयार की जा रही वैक्सीन
भारत बायोटेक की ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा इल्ला ने आज़ादी के दिन ये जानकारी साझा करते हुए कहा कि नाक से दी जाने वाली पहली कोरोना वैक्सीन का विकसित होना किफायती कदम है. ये वैक्सीन भी 2 से 8 डिग्री के तापमान पर स्टोर की जा सकेगी. इसे बनाने का काम गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के प्लांट में किया जाएगा. डोज की वैक्सीन 28 दिनों के अंतर पर नाक से दी जाएगी.