भारत का शांति के समय दिया जाने वाला सबसे ऊंचा वीरता पदक अशोक चक्र, जिसे खनन माफिया के हमले में शहीद डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई को देने की मांग की जा रही है.
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Ashok Chakra: हरियाणा के मेवात में अवैध खनन रोकने के लिए पहुंचे डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की मंगलवार को खनन माफिया ने डंपर से कुचलकर हत्या कर दी गई थी. आज शहीद DSP का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा, सरकार की तरफ से उन्हें शहीद का दर्जा दिया गया है. वहीं DSP सुरेंद्र सिंह के गांव के लोगों और बिश्नोई समाज के द्वारा उन्हें अशोक चक्र देने की मांग की गई है. आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की अशोक चक्र कब, किसे और किन परिस्थितियों में दिया जाता है.
जानें कौन हैं DSP Surendra Singh जिनकी खनन माफिया ने डंपर से कुचलकर की हत्या
अशोक चक्र
अशोक चक्र भारत का शांति के समय दिया जाने वाला सबसे ऊंचा वीरता पदक है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. यह सम्मान मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है. अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है.
1952 में हुई थी शुरुआत
अशोक चक्र की शुरुआत 4 जनवरी 1952 को हुई थी. तब इसे अशोक चक्र क्लास-1 कहा जाता था. बाद में 1967 में इसे अशोक चक्र कहा जाने लगा. 1 फरवरी 1999 में केंद्र सरकार ने अशोक चक्र के लिए 1400 रुपए का मासिक भत्ता निर्धारित कर दिया.
अशोक चक्र का आकार
3/8 इंच व्यास का सोने का गोल टुकड़ा
इसमें लगे रिबन की लंबाई -31 मिलीमीटर
रिबन की चौड़ाई -15 मिलीमीटर
रंग - गहरा हरा
बीच में 2 मिमी की केसरिया पट्टी
सबसे पहला अशोक चक्र
सुहास बिस्वास, बचित्तर सिंह और नरबहादुर थापा को वर्ष 1952 में पहले अशोक चक्र से सम्मानित किया गया.
वर्ष 2022 में अशोक चक्र
26 जनवरी 2022 को 73वें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद ASI बाबू राम को अशोक चक्र से सम्मानित किया था. 29 अगस्त, 2020 को श्रीनगर में एक ऑपरेशन के दौरान बाबू राम ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया था और शहीद हो गए. देश की तरफ से उनकी इस वीरता को मरणोपरान्त ये सम्मान दिया गया.
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