Bilkis Bano Gangrape Case: गुजरात में बिलकिस बानो के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और परिवार के लोगों की हत्या के आरोपियों की रिहाई के बाद दायर समीक्षा याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
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नई दिल्ली: गुजरात में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषियों को बरी करने के बाद बिलकिस बानो की तरफ से समीक्षा याचिका दायर का गई थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने यह सवाल किया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहां जाएंगे?
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स्वाती मालीवाल का ट्वीट
सुप्रीम कोर्ट ने बिलक़िस बानो की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। बिलक़िस बानो का 21 साल की उम्र में गैंग रेप किया गया, उसके 3 साल के बेटे & 6 परिवार वालों का क़त्ल कर दिया गया, पर गुजरात सरकार ने उसके सभी रेपिस्ट को आज़ाद कर दिया। अगर सुप्रीम कोर्ट से भी न्याय नहीं मिलेगा, तो कहाँ जाएँगे?
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) December 17, 2022
क्या है पूरा मामला
साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके परिवार के 7 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस मामले में 11 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को 15 साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया.
गुजरात सरकार की माफी नीति के अनुसार सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया, जिसके खिलाफ बिलकिस बानो ने समीक्षा याचिका दायर की थी. आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस याचिका को भी खारिज कर दिया गया.
1992 के नियम के आधार पर हुई रिहाई
इस मामले की सुनवाई करते हुए 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सजा 2008 में मिली, इसलिए रिहाई के लिए साल 2014 में गुजरात में बने नियम की जगह 1992 के नियम ही लागू होंगे. 1992 के नियम के तहत गुजरात सरकार ने 14 साल की सजा काट चुके लोगों को रिहा किया था. वहीं इस मामले में पीड़ित बिलकिस बानो का कहना है कि जब मुकदमा महाराष्ट्र में चला, तो नियम भी वहां के लागू होने चाहिए न की गुजरात के.