Arvind Kejriwal: जानिए उस केस के बारे में जिसमें अरविंद केजरीवाल की हुई थी गिरफ्तारी, चुनाव से पहले मिली जमानत
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Arvind Kejriwal: जानिए उस केस के बारे में जिसमें अरविंद केजरीवाल की हुई थी गिरफ्तारी, चुनाव से पहले मिली जमानत

ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट में कहा था कि आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल "दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता" हैं. ईडी ने अपनी रिमांड एप्लीकेशन में कहा था कि केजरीवाल कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल रहे थे.

Arvind Kejriwal: जानिए उस केस के बारे में जिसमें अरविंद केजरीवाल की हुई थी गिरफ्तारी, चुनाव से पहले मिली जमानत

Arvind Kejriwal News: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें 28 मार्च तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया था. अरविंद केजरीवाल जेल में रहते हुए अपनी सरकार चला रहे हैं. इसके साथ ही दिल्ली के सीएम की कुर्सी पर रहते हुए जेल जाने वाले वह पहले नेता बन गए हैं.  ईडी ने गिरफ्तारी से पहले दिल्ली के सीएम को 9 समन जारी किए थे. जिन्हें केजरीवाल द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था.

केजरीवाल पर क्या है आरोप
ईडी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट में कहा था कि आम आदमी पार्टी प्रमुख केजरीवाल "दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता" हैं. ईडी ने अपनी रिमांड एप्लीकेशन में कहा था कि केजरीवाल कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल रहे थे. उन्होंने इस लाभ के बदले शराब व्यवसायियों से रिश्वत की मांग की थी. वहीं, एजेंसी ने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा गोवा विधानसभा में हुए चुनाव में अपराध का इस्तेमाल किया गया था. जिसमें केजरीवाल मुख्य निर्णयकर्ता हैं.

इससे पहले ईडी ने एक शिकायत में आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने आबकारी घोटले के मुख्य आरोपियों में से एक समीर महेंद्रू से वीडियों कॉल पर बात की थी. केजरीवाल ने उनसे बात करते हुए इस घोटले के सहआरोपी विजय नायर के साथ काम जारी रखने के लिए कहा था. विजय नायर आम आदमी पार्टी के पूर्व कम्यूनिकेशन इंचार्ज हैं.

अतिरिक्ट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत में केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए था कि केजरीवाल ने पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की मांग की थी. इसमें उन्होंने दलील दी कि साउथ ग्रुप से प्राप्त पैसों में से करीब 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में किया था. वहीं गोवा चुनाव में आप द्वारा जिन पैसों की इस्तेमाल किया गया था. वह हवाला के जरिये आया हुआ था. 

जानें क्या है साउथ ग्रुप और केजरीवाल का क्या था कनेक्शन 
आबकारी के इस कथित घोटले में कुछ नेताओं और बिजनेसमैन को आरोपी बनाया गया है. जिसे एजेंसी ने इन्हें साउथ ग्रुप के रूप में नामित किया है. ईडी के अनुसार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की विवादित आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण में सीधे तौर पर शामिल थे. ईडी ने कहा कि साउथ ग्रुप को दिए जाने वाले फायदे को ध्यान में रखते हुए इस नीति को तैयार किया गया था. साउथ ग्रुप के सदस्यों में से एक बीआरएस नेता और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता भी हैं. वही के. कविता को एजेंसी के द्वारा 15 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था. कविता की गिरफ्तारी के बाद 18 मार्च को पहली बार ईडी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी इस नीति में सजिशकर्ता के रुप में थे.  ईडी के प्रवक्ता ने कहा था कि जांच में पता चला है कि के. कविता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण लाभ पाने के लिए अरविंद केजरीवाल और (पूर्व उपमुख्यमंत्री) मनीष सिसोदिया सहित AAP के शीर्ष नेताओं के सा इस साजिश को रचा गया था. इन एहसानों के बदले ही वह 'आप' नेताओं को 100 करोड़  का भुगतान करने में शामिल थी. 

क्या है आबकारी नीति
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी ने 2021-22 में नई उत्पाद शुल्क नीति या आबकारी नीति लेकर आई थी. इस नीति को नवंबर 2021 में लागू किया गया था, लेकिन विवाद के चलते इसको जुलाई 2022 में रद्द कर दिया गया था. क्योंकि पूरा का पूरा विवाद इसी नीति पर केंद्रित था. वहीं, उत्पाद शुल्क नीति के संबंध में दो मुकदमें दर्ज हैं.  एक मुकदमा सीबीआई द्वारा और दूसरा मुकदमा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी द्वारा दर्ज किया गया था, जिसके तहत ही दिल्ली के सीएम को गिरफ्तार किया गया था.

दिल्ली के सीएम का क्या है पक्ष
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी तीन या चार नामों पर ही आधारित है. वहीं, सिंघवी ने तर्क दिया कि इस मामले में जुड़े 80% से अधिक लोगों ने कभी केजरीवाल के साथ किसी भी तरह का कोई लेन-देन का उल्लेख नहीं किया है. उन्होंने आगे कहा कि सह-अभियुक्तों और (दिल्ली) एलजी और अनुमोदकों के शब्दों से एक साथ जोड़ दिया गया है. केजरीवाल के खिलाफ किसी भी तरह के कोई गलत काम का सबूत नहीं है. एक साल से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी दिल्ली के सीएम के खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट में सिंघवी ने यह दलील दी थी कि एजेंसी सिर्फ एक खास पैटर्न पर काम कर रही है. इस पैटर्न का पहला चरण है, कोई गवाह बयान देंगे, पर केजरीवाल को कोई उल्लेख नहीं किया जाएगा. इसका दूसरा पैटर्न गवाहों को गिरफ्तार करें और उन्हें जमानत देने से इनकार करें. वहीं इस मामले का तीसरा पैटर्न उन्हें अनुमोदक बनाते हुए एक सौदा करें. जिससे अगले दिन एक बयान आएगा वह केजरीवाल के खिलाफ होगा.

सुप्रीम कोर्ट से मिली केजरीवाल को राहत 

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को 50 दिन का राहत देते हुए आज यानी की 10 मई को केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है.  2 जून को दिल्ली के सीएम को करना होगा सरेंडर.

 

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