Anantnag Encounter: पंचतत्व में विलीन हुए मेजर आशीष, खामोश चेहरे से बेटी ने दी विदाई, श्रद्धांजलि देने उमड़ा जन सैलाब
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Anantnag Encounter: पंचतत्व में विलीन हुए मेजर आशीष, खामोश चेहरे से बेटी ने दी विदाई, श्रद्धांजलि देने उमड़ा जन सैलाब

शहीद मेजर आशीष को अंतिम विदाई दी गई. टीडीआई सिटी से लेकर उनके पैतृक गांव बिंझौल के श्मशान भूमि तक मेजर आशीष को श्रद्धांजलि देने के लिए जन सैलाब उमड़ा हुआ है. नेशनल हाईवे- 44 पर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ इतनी अधिक थी कि हाईवे पर जिधर नजर जा रही थी उधर लोग ही लोग नजर आ रहे थे.

Anantnag Encounter: पंचतत्व में विलीन हुए मेजर आशीष, खामोश चेहरे से बेटी ने दी विदाई, श्रद्धांजलि देने उमड़ा जन सैलाब

Anantnag Encounter: शहीद मेजर आशीष को अंतिम विदाई दी गई. टीडीआई सिटी से लेकर उनके पैतृक गांव बिंझौल के श्मशान भूमि तक मेजर आशीष को श्रद्धांजलि देने के लिए जन सैलाब उमड़ा हुआ है. नेशनल हाईवे- 44 पर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ इतनी अधिक थी कि हाईवे पर जिधर नजर जा रही थी उधर लोग ही लोग नजर आ रहे थे. इसी के साथ शहीद मेजर अमर रहे के नारो से आकाश गूंज रहा था.

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श्मशान भूमि पहुंचने पर मेजर आशीष को श्रद्धांजलि देने लोगों को जहा भी जगह मिली वही चढ़ गए. ग्रामीण में मेजर के प्रति इतना प्यार था कि देश का तिरंगा लेकर श्मशान भूमि की छत पर खड़े होकर मेजर को अंतिम विदाई दे रहे थे. मेजर आशीष का परिवार पत्नी व बहनों ने हाथ जोड़कर श्मशान भूमि में प्रवेश किया. मेजर आशीष की बेटी इतनी गर्मी में अपने खामोश चेहरे से पिता को अंतिम विदाई दे रही थी.

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गर्मी इतनी अधिक थी कि मेजर की बेटी को बार-बार पानी पिलाया जा रहा था. मेजर आशीष की मां कमला भी हाथ जोड़कर आंखों में आंसू लिए बिना लोगों के सामने हाथ जोड़कर अपनी बेटी-बेटे की शहादत को नमन कर रही थी. मां कमला ने कहा कि मेजर मेरा बेटा था, अभी तक नहीं रोई हूं, घर जाकर रोऊंगी. यह मां के लफ्ज श्मशान भूमि में मानो बेटे को चीख चीख कर पुकार रहे हो.

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पंचतत्व में विलीन हुए मेजर आशीष

राजकीय सम्मान के साथ मेजर आशीष पंचतत्व में विलीन हो गए है. उनकी शहादत हमेशा याद रहेगी और युवाओं में प्रेरणा बनेगी कि किस तरह से आंतकवादियों से लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए. मेजर आशीष के पैतृक गांव बिंझौल  में लगभग 1000 से अधिक घर है सभी ग्रामीणों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए किसी के घर भी सुबह से चूल्हा नहीं जलाया था. यही मेजर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि थी जो लोगों के मन में याद बनकर रहेगी.

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बिंझौल गांव से कई युवा सेवा में भर्ती होकर देश सेवाएं दे रहे हैं. मेजर आशीष को श्रद्धांजलि देने सेना के कई बड़े अधिकारी भी मौजूद रहे. ग्रामीणों का कहना है कि हमें अपने बेटे पर गर्व है ऐसे बेटे कई वर्षों बाद पैदा होते हैं जो देश पर कुर्बान होते हैं. उन्होंने कहा कि हमें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है. वहीं एक रिटायर्ड आर्मी अफसर ने कहा कि हमें खुशी है कि आज एक जवान ने देश के लिए शहादत दी उन्होंने दुख प्रकट किया कि हमें अफसोस है कि हम कुछ नहीं कर पाए, लेकिन आज हमारे युवा कर रहे हैं. हमारे आर्मी अफसर हमेशा ही ऐसे बलिदानों को बदला ले रहे हैं और लेते रहेंगे.

(इनपुटः राकेश भयाना)