आदमपुर उपचुनाव को लेकर कल वोटिंग हो गई है. इस चुनाव में कुल 76.51% वोटिंग हुई है. इन आंकड़ों के हिसाब से यहां पर भजनलाल परिवार ही जीतता आया है तो कयास लगाए जा रहे है कि इस सीट पर भव्य बिश्नोई की ही जीत होगी.
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Adampur By-Poll: कल हुए आदमपुर उपचुनाव में 76.51% मतदान हुआ है. इस प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो इस सीट पर कमल ही खिलेगा, क्योंकि इस वोटिंग प्रतिशत के हिसाब से हर बार पूर्व CM चौधरी भजनलाल और उनके परिवार की ही जीत रही. वहीं 2 दिन बाद यानी की 6 नवंबर को इस सीट पर मतगणना होनी है.
बता दें कि इस सीट पर जब भी 70 से 80٪ के बीच में मतदान हुआ है, तब-तब इस सीट पर भजनलाल परिवार की ही जीत हुई है. इस हिसाब से देखा जाए तो यह आंकड़ा भी भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई के हक में है.
खत्म होगा 26 साल का वनवास
वहीं अगर इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई की जीत होती है तो आदमपुर सीट का 26 साल का वनवास खत्म हो जाएगा. क्योंकि 26 साल से यहां की सीट सत्ता के विरोध में रही है. इन वर्षों में आदमपुर से MLA तो भजनलाल परिवार से बना, लेकिन वह हमेशा विपक्ष में ही रहे. भाजपा और भव्य बिश्नोई जीते तो यही उनकी जीत की सबसे बड़ी वजह भी रहेगी. भव्य की टक्कर में यहां से कांग्रेस ने जयप्रकाश, AAP ने सतेंद्र और इनेलो ने कुरडाराम नंबरदार को उतारा है.
कल यानी 3 नवंबर को हुए आदमपुर उपचुनाव में 76.51% वोटिंग हुई. वहीं पिछली बार 2019 में 75.79% वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में कुलदीप बिश्नोई की जीत हुई थी. इस दौरान कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा प्रत्याशी सोनाली फोगाट को 29 हजार में हराया था. वहीं 2014 में 78.21% प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस दौरान भी कुलदीप बिश्नोई की जीत हुई थी. उन्होंने INLD के कुलवीर सिंह को 17000 वोट से हराया था. बता दें कि इस सीट पर 1968 से लेकर 2019 तक इस सीट पर 70 से 81% ही मतदान होता रहा है. वहीं हर बार यहा से भजनलाल परिवार ही जीतता आ रहा है.
वहीं राजनीतिक विषेशज्ञों के अनुसार अगर मतदान ज्यादा होता है तो उसे सत्तापक्ष के खिलाफ बदलाव का माना जाता है. आदमपुर से पहले अक्टूबर 2021 के ऐलनाबाद उपचुनाव हुए, जिसमें 81% से ज्यादा मतदान हुआ और यहां से इनेलो जीती थी. इसके उलट आदमपुर में ऐलनाबाद उपचुनाव के बराबर तो दूर, यह आंकड़ा पिछली बार यानी 2019 से 1% भी ज्यादा नहीं है. वहीं माना जा रहा है कि यहां से भव्य बिश्नोई से जीतने के ज्यादा चांस हैं.
वहीं AAP उम्मीदवार सतेंद्र को अरविंद केजरीवाल का साथ भी नहीं मिला. पंजाब के मुकाबले आप यहां कमजार दिखी. वहीं केजरीवाल का रोड शो भी कैंसिल हो गया. वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि सतेंद्र सिंह की जीत की उम्मीद बहुत कम है.
वहीं कांग्रेस ने 3 बार सांसद रहे जयप्रकाश को इस सीट पर उतारा है. वहीं बता दें कि उनके प्रचार के लिए भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा का ही सहारा मिला, लेकिन कांग्रेस का कोई और बड़ा नेता उनके प्रचार के लिए नहीं आया. वहीं इनके जीतने की उम्मीद भी न के बराबर है.