BJP अंग्रेजी सीखने की योजना का क्यों कर रही विरोध, सौरभ भारद्वाज ने बताई इसकी असल वजह
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BJP अंग्रेजी सीखने की योजना का क्यों कर रही विरोध, सौरभ भारद्वाज ने बताई इसकी असल वजह

Aam Admi Party : दिल्ली में विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में एक योजना शुरू की थी, ताकि गरीब का बच्चा भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोल सके, लेकिन बीजेपी को ऐतराज है.

BJP अंग्रेजी सीखने की योजना का क्यों कर रही विरोध, सौरभ भारद्वाज ने बताई इसकी असल वजह

नई दिल्ली : दिल्ली में आम आदमी पार्टी विधायक सौरभ भारद्वाज ने आज अंग्रेजी के बहाने भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी पर निशाना साधा. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज स्वतंत्रता दिवस पर हमने सुधांशु त्रिवेदी का एक वीडियो देखा. इसमें वह दिल्ली सरकार द्वारा गरीब छात्रों के लिए अंग्रेजी बोलने-सीखने की योजना पर कुछ कह रहे थे. 

भारद्वाज ने कहा कि सुधांशु त्रिवेदी का विरोध दिल्ली सरकार की गरीब बच्चों को फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने की योजना पर है. भाजपा गरीब बच्चे के अंग्रेजी बोलने और सीखने के विरोध की मानसिकता रखती है. उन्होंने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में एक योजना शुरू की थी, ताकि गरीब का बच्चा भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोल सके, लेकिन BJP का ऐतराज है कि गरीब का बच्चा क्यों फर्राटेदार अंग्रेजी बोले. BJP बिल्कुल नहीं चाहती कि गरीबों के बच्चे पढ़ लिख जाएं और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलें. अगर यह वैचारिक विरोध होता तो समझ में आता.

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बीजेपी के नेता खुद इंग्लिश मीडियम में पढ़े तो विरोध क्यों?

सौरभ भारद्वाज ने कहा, मैंने सर्च किया कि BJP के कौन-कौन से नेता अंग्रेजी स्कूलों में पढ़े हैं. इससे BJP के कार्यकर्ताओं को निराशा होगी. उन्होंने कहा कि BJP अंग्रेजी विरोध के मामले में हिपोक्रेटिक है. RSS के सबसे बड़े तीन नेता सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और आडवाणी अंग्रेजी स्कूलों से पढ़े हैं. इनके अलावा स्मृति ईरानी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, हरदीप सिंह पुरी, पीयूष गोयल, सब अंग्रेजी स्कूलों से पढ़े हैं. आज BJP के करीब सभी नेताओं के बच्चे अंग्रेजी स्कूलों ने पढ़ रहे हैं. पीयूष गोयल और हर्षवर्धन के बेटे, गजेंद्र सिंह शेखावत की बेटी सब बड़े-बड़े अंग्रेजी यूनिवर्सिटी से पढ़ रहे हैं. जितेंद्र सिंह के बेटे ऑक्सफोर्ड, स्मृति ईरानी की बेटी जॉस्टऑन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रही हैं. 

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प्रधानमंत्री दोस्तवाद पर कुछ नहीं बोले

सवाल यह है कि BJP क्यों चाहती है कि गरीब अंग्रेजी न सीखें. BJP कार्यकर्ताओं को मूर्ख बनाती है और कहती है कि विद्या मंदिर में पढ़ाओ और उनसे दंगे कराओ. आज दो विचारधारा ने देश को बर्बाद कर दिया. प्रधानमंत्री ने आज परिवारवाद का जिक्र किया, लेकिन दोस्तवाद पर कुछ नहीं बोले. बाबा साहेब ने भी कहा था कि समाज के उच्च वर्ग के बीच उठ बैठ सको, इसके लिए अंग्रेजी जरूरी है. इसलिए जब अरविंद केजरीवाल उन बच्चों से मिले जो अंग्रेजी नहीं बोल पाते हैं तो उनका दर्द समझा. यह दर्द BJP के लोग नहीं समझ सकते हैं. वे दिखाना चाहते हैं कि हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के ठेकेदार भाजपा वाले ही हैं. 

एलजी पर गड़बड़ियां फैलाने का आरोप

ट्रांसपोर्ट विभाग के कार्यक्रम में केजरीवाल सरकार के किसी मंत्री को न बुलाने और पोस्टर पर सीएम या मंत्री की फोटो न लगाने पर सौरभ भारद्वाज ने कहा, एलजी साहब अभी नए-नए एलजी बने हैं. उन्हें उत्सुकता है बहुत कुछ जानने की. दिल्ली वालों की समस्या यह है कि परेशानी हो तो दिल्ली सरकार के पास जाएंगे या एलजी के पास जाएंगे. जिम्मेदारी उनकी होगी, तो वे जाते, लेकिन जिम्मेदारी उनकी नहीं है. कोई गड़बड़ी होगी तो वो अरविंद केजरीवाल के सामने आएगा और फीता काटना हो तो एलजी के पास जाते हैं. यह बात सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट की है. समय रहते वे भी इस बात को समझेंगे. हो सकता है कि एलजी साहब पर प्रधानमंत्री दफ्तर का दबाव हो कि इस तरह की गड़बड़ियां फैलाएं.

भारद्वाज ने कहा, मुर्मू जी राष्ट्रपति बनी हैं. फर्ज कीजिए कि केंद्र सरकार के किसी कार्यक्रम में राष्ट्रपति जाना शुरू कर दें, प्रधानमंत्री को बुलाना ही बंद कर दें, प्रधानमंत्री की तस्वीर ही न लगाएं, यह क्या हो सकता है. लोगों ने तो वोट देकर प्रधानमंत्री को चुना है. यह संवैधानिक तौर पर गलत है.

BJP को गलतफहमी हो गई

अरविंद केजरीवाल अब देश की बात कर रहे हैं, यह पूछने पर क्या यह राष्ट्रीय स्तर पर फैलाव की कोशिश है, इस पर भारद्वाज ने कहा, हम जहां-जहां जा रहे हैं, लोग कह रहे हैं कि दिल्ली में जैसा काम किया है, वैसा अन्य राज्यों में भी होना चाहिए.पता नहीं गौतम गंभीर किस तरह की बात कर रहे हैं कि अगर अंग्रेज भी मुफ्त पानी शिक्षा रोजगार दे रहे होते तो उन्हें भगाने की क्या जरूरत थी. BJP को गलतफहमी हो गई है कि प्रधानमंत्री जो कहें, उसे देश स्वीकार कर ले, लेकिन यह देश इसके लिए तैयार नही है. जैसे किसानों के मामले में सरकार को गलती माननी पड़ी, इस मामले में भी गलती माननी पड़ेगी. 

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