मिथिलांचल में भाई बहन के अनोखे प्रेम का पर्व है सामा चकेवा छठ महापर्व के खरना के दिन से शुरू होता है. भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक सामा चकेवा का पर्व और पूर्णिमा के दिन समाप्त हो जाता है. खरना के दिन से महिलाएं मिट्टी से बने सामा चकेवा पर्व मनाना शुरू कर देती है. सामा चकेवा पर्व शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं पूरी विधि विधान और धूमधाम से मनाती हैं. सामा चकेवा का बाजार सज चुका है और बहनें बाजार से रंग बिरंगे सामा चकेवा की मूर्ति खरीद कर लाते हैं. सहेलियों के साथ मिलकर सामा चकेवा को डाला में सजाकर सिर पर रखकर महिलाएं लोक गीत गाते हुए घर से बाहर निकलकर सामा चकेवा पर्व मनाते है. सामा चकेवा पर्व मना रहे महिलाओं की मानें तो ये पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है.