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अगर आप नौकरीपेशा हैं तो इनकम टैक्स बचाने के लिए क्या क्या नहीं करते. तरह तरह की सेविंग्स में निवेश करते हैं, इश्योरेंस या मेडिकल इंश्योरेंस लेते हैं, म्यूचुअल फंड लेते हैं, एनएससी, पीएफ, बच्चों का स्कूल फीस आदि कवायद के बाद भी कई बार आप इनकम टैक्स के दायरे में आ जाते हैं. लेकिन आप कल्पना कीजिए कि आपको कोई टैक्स देना ही नहीं पड़े और टैक्स पर मिलने वाली सारी सुविधाएं भी आपको दी जाए तो आप कैसा फील करेंगे. यह कोई कोरी कल्पना नहीं है बल्कि भारत देश में एक ऐसा राज्य है जहां आपको यह सुविधा मिलती है. उस राज्य का नाम है सिक्किम.
कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं
सिक्किम के निवासियों की सैलरी कितनी भी हो, वहां टैक्स नहीं पड़ता है. आपको यह भी बता दें कि केवल इनकम टैक्स ही नहीं बल्कि किसी भी तरह का टैक्स सिक्किम के निवासियों को नहीं देना होता है. आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों? देश का नियम तो सभी पर बराबर लागू होता है तो सिक्किम वालों को यह अतिरिक्त और प्रीमियम सुविधा क्यों? दरअसल भारत देश में इनकम टैक्स कानून 1961 के तहत हर नागरिक को अपनी आय के अनुसार टैक्स देना होता है, लेकिन सिक्किम में यह कानून लागू नहीं किया गया है. संविधान के अनुच्छेद 372 एफ कहता है कि सिक्क्मि के निवासियों को कोई भी टैक्स देने की जरूरत नहीं है. इसके लिए सिक्किम का मूल नागरिक होना जरूरी है. जो लोग बाहर से आकर सिक्किम में बस गए हैं, उन्हें इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता.
सिक्किमवासियों को यह स्पेशल सुविधा क्यों?
आप यह भी सोच रहे होंगे कि सिक्किम वालों को यह अतिरिक्त और स्पेशल सुविधा क्यों दी जाती है तो इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है. दरअसल, सिक्किम भारत का हिस्सा नहीं था और 1975 में यह भारत का अंग बना. यहां 1949 में बना टैक्स रेग्युलेशन ही लागू होता है. इस राज्य को स्पेशल स्टेटस हासिल है. पहले सिक्किम भूटान की तरह अलग देश हुआ करता था. 1950 में भारत सिक्किम शांति समझौता हुआ जिसके बाद सिक्किम भारत का अंग बन गया. 1975 में सिक्किम को भारत का हिस्सा घोषित कर दिया गया. भारत का हिस्सा बनने से पहले सिक्क्मिवासियों की कुछ शर्तें थीं, जिसमें कभी टैक्स न देने की शर्त भी शामिल थी.
क्या है सेक्शन 10 (26AAA)
सिक्किम में टैक्स की बात हो रही है तो सेक्शन 10 (26AAA) की बात तो होगी ही. यही वो क्लॉज है, जिससे सिक्क्मि के मूल निवासी इनकम टैक्स के स्लैब से पूरी तरह बाहर हो जाते हैं. पहले तो यहां के लोगों के लिए पैन कार्ड भी जरूरी नहीं था. सेबी ने उन्हें पैन के बिना ही निवेश करने की छूट दे रखी थी लेकिन अब यह नियम लागू नहीं है. 2008 से पहले यह सुविधा मतलब टैक्स में छूट केवल उन्हीं लोगों को मिलती थी, जिनके पास स्पेशल नागरिक होने का सर्टिफिकेट होता था पर 2008 के बाद इस नियम को बदलकर सिक्किम के सभी मूल निवासियों को इसमें शामिल कर लिया गया. अब 1975 से पहले सिक्किम में बसे परिवारों और उनके वंशजों को टैक्स छूट मिली हुई है, भले ही उनका नाम रजिस्टर में हो या न हो. किसी नॉन सिक्किम निवासी से शादी करने के बाद महिलाओं को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता है.