Hemant Cabinet Meeting: हेमंत सरकार का बड़ा फैसला, ओबीसी को मिला 27 प्रतिशत आरक्षण
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Hemant Cabinet Meeting: हेमंत सरकार का बड़ा फैसला, ओबीसी को मिला 27 प्रतिशत आरक्षण

Hemant Cabinet Meeting:बुधवार को हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट बैठक में  आरक्षण और डोमिसाईल पॉलिसी पर बड़े फैसले लिए गए हैं. राज्य में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ-साथ अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में भी वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया है.

Hemant Cabinet Meeting: हेमंत सरकार का बड़ा फैसला, ओबीसी को मिला 27 प्रतिशत आरक्षण

रांची:Hemant Cabinet Meeting:बुधवार को हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट बैठक में  आरक्षण और डोमिसाईल पॉलिसी पर बड़े फैसले लिए गए हैं. राज्य में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ-साथ अब अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में भी वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया है. मंजूर किए गए प्रस्ताव के अनुसार पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर अब 27 प्रतिशत कर दिया गया है. इसी तरह अनुसूचित जाति (एससी) को मिलने वाला आरक्षण को बढ़ाकर 10 प्रतिशत से 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को मिलने वाले आरक्षण को बढ़ाकर 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत कर दिया गया.

अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण 
इसके अलावा बैठक अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान पर मंजूरी दी गई है. जिसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर अब 77 हो जायेगा. इसके साथ ही कैबिनेट बैठक में झारखंड डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) होने के लिए नया मापदंड तय किया गया है. नई पॉलिसी के अनुसार जिन व्यक्तियों या जिनके पूर्वजों के नाम राज्य में 1932 में हुए भूमि सर्वे के कागजात (खतियान) में दर्ज होंगे, उन्हें ही झारखंड का स्थानीय निवासी माना जायेगा. ऐसे लोग जिनके पूर्वज 1932 या उसके पहले से झारखंड में रह तो रहे हैं, लेकिन जमीन न होने के कारण उनका नाम 1932 के सर्वे कागजात (खतियान) में दर्ज नहीं है, उन्हें उनकी ग्राम सभाओं की पहचान के आधार पर डोमिसाइल माना जायेगा. इसके अलावा आरक्षण का लाभ उन्हें ही मिलेगा, जिसके पास झारखंड के डोमिसाइल होंगे.

केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा
कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि कैबिनेट बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार राज्य सरकार आरक्षण बढ़ाने और डोमिसाइल की पॉलिसी लागू करने के लिए विधानसभा में विधेयक पारित कराएगी. इसके बाद इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. बता दें कि 9वीं अनुसूची केंद्र और राज्य के कानूनों की ऐसी सूची होती है, जिसे न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दिया जा सकता है.

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पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा
बता दें कि राज्य की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए झारखंड कैबिनेट के इन दोनों फैसलों को बेहद अहम माना जा रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद तीनों सत्ताधारी पार्टियों ने विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था. इसी तरह झारखंड अलग राज्य बनने के साथ ही 1932 के खतियान के आधार पर डोमिसाइल का मुद्दा उठ रहा था.  झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी  वर्ष 2003 में 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाईल पॉलिसी का फैसला लिया था, लेकिन इसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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