कभी राजीव गांधी के विश्वासपात्र रहे आरिफ मोहम्मद खान कैसे बन गए BJP के खास, होंगे बिहार के नए राज्यपाल
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कभी राजीव गांधी के विश्वासपात्र रहे आरिफ मोहम्मद खान कैसे बन गए BJP के खास, होंगे बिहार के नए राज्यपाल

Bihar New Governor: बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आज अपना पदभार ग्रहण करने पटना पहुंचे. इसके साथ ही राज्य को 26 साल बाद कोई मुस्लिम राज्यपाल मिला है.

आरिफ मोहम्मद खान

पटना: बिहार के नए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अपना पदभार ग्रहण करने आज बिहार पहुंच गए. इसके साथ ही 26 साल बाद बिहार को कोई मुस्लिम राज्यपाल मिला है. इससे पहले 1998 तक मुस्लिम समाज से आने वाले AR किदवई बिहार के राज्यपाल थे. बता दें कि अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल बनाना बीजेपी की एक सधी हुई रणनीति का हिस्सा है. आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल बनाने से बीजेपी को 2025 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम तबके के वोटरों का साधने में आसानी होगी. कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाले आरिफ मोहम्मद खान बसपा से होते हुए 2004 में भाजपा में शामिल हुए थे.

बता दें कि शाहबानो केस में आरिफ मोहम्मद खान ने राजीव गांधी का विरोध करते मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था. दरअसल शाहबानो केस में आरिफ मोहम्मद खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था. जिसके बाद राजीव गांधी एक कानून लाकर कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया था. जिसका विरोध करते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने इस्तीफा दे दिया था.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि कभी राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे मुस्लिम नेता आरिफ मोहम्मद खान आज बीजेपी के लिए इतने जरुरी क्यों है. तो ये कहना गलत नहीं होगा ही शाहबानो केस के अलावा और भी मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई ऐसे मुद्दे आए जिसमें आरिफ मोहम्मद खान का बयान बीजेपी के लिए हमेशा ढाल बनता रहा. तीन तलाक के मुद्दे पर भी उन्होंने कई बार ये जताने कि ये कोशिश की है कि तीन तलाक का क़ानून मुस्लिमों के खिलाफ नहीं बल्कि मुस्लिमों के हित में लाया गया है. आरिफ खान को बीजेपी द्वारा पसंद करने की एक वजह उनका कांग्रेस पर तमाम संदर्भों और मजहबी कट्टरता पर तर्कों और दृष्टान्तों से हमला करने की स्टाइल को भी माना जाता है.

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बीजेपी को लगता है कि आरिफ मोहम्मद खान के बयान पार्टी की राजनीति के फेवर में जाते हैं और उन्हें अपने साथ जोड़कर पार्टी के मुस्लिम विरोधी छवि को सुधारा जा सकता है. ऐसे में बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आरिफ को बिहार का गवर्नर बनाकर बीजेपी ये संदेश देना चाहती है कि वह राष्ट्रवादी और प्रगतिशील मुस्लिम चेहरों को आगे बढ़ाने की पक्षधर भी है. इसके अलावा आरिफ मोहम्मद खान के चेहरे से सीएम नीतीश कुमार को भी साधने में बीजेपी को आसानी होगी.

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