दरभंगा में एम्स के निर्माण को लेकर शनिवार (12 अगस्त) को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के बीच सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला.
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Darbhanga AIIMS: बिहार के दरभंगा में प्रस्तावित एम्स के निर्माण को लेकर राजनीति चरम पर है. शनिवार (12 अगस्त) को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के बीच सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला. दरअसल, दोनों के बीच जुबानी जंग तब शुरू हुई जब पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल में क्षेत्रीय पंचायती राज परिषद की बैठक में दरभंगा में एम्स खोले जाने का जिक्र किया. इस पर तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री के दावे को झूठ बताया. तेजस्वी ने दावे को गलत बताते हुए ट्वीट किया और कहा कि प्रधानमंत्री दरभंगा में एम्स खुलवाने का झूठा श्रेय ले रहे हैं. तेजस्वी के आरोपों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी उन्हें तीखे अंदाज में जवाब दिया.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट करके कहा कि प्रिय तेजस्वी जी, मोदी सरकार विकास में राजनीति नहीं करती बल्कि विकास की राजनीति करती है. हमारी नीयत साफ है. एम्स दरभंगा की अनुमति मोदी सरकार ने 19 सितंबर 2020 को दी थी और बिहार सरकार ने 3 नवंबर 2021 को पहली जमीन दी थी. 26 मई 2023 को भारत सरकार ने उपलब्ध करवाई गई दूसरी जमीन एम्स निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं है ऐसा लेटर बिहार सरकार को भेजा था जो इसके साथ शामिल है. आप ही बताओ जमीन को क्यूं बदला गया, किसके हित में बदला गया?
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की बात पर तेजस्वी ने भी जवाब दिया. तेजस्वी ने कहा कि यह कौन से अदृश्य विकास की राजनीति है कि जहां स्वास्थ्य मंत्रालय ने AIIMS के लिए अभी तक स्थल फाइनल किया ही नहीं है और आदरणीय प्रधानमंत्री जी कह रहे है वहाँ एम्स खोल दिया गया है? उन्होंने आगे कहा कि जिस काल अवधि का आप वर्णन कर रहे है उस वक्त से लेकर पूर्व के कई वर्षों तक बिहार में BJP के ही स्वास्थ्य मंत्री रहे है. शायद आप उनकी असफलता को इंगित कर रहे है. बिहार सरकार ने शोभन बायपास जैसी बेहतर लोकेशन पर निःशुल्क 151 एकड़ भूमि केंद्र को हस्तांतरित की है, जिसमें मिट्टी भराई का 300 करोड़ अतिरिक्त व्यय भी राज्य सरकार वहन कर रही है. उन्होंने कहा कि हम सकारात्मक एवं विकासोन्मुख राजनीति करते है इसलिए हमने दरभंगा सहित अन्य जिलों को इसका संपूर्ण लाभ मिले तभी सबसे उपयुक्त स्थल चयन किया है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से केंद्र की अभी तक स्वीकृति नहीं मिली.