बिहार के दो लोकसभा सीट जिनका भौगोलिक और सामाजिक तानाबाना एक सा है. बस हिस्से दो एक पूर्वू चंपारण और दूसरा पश्चिमी चंपारण. दोनों ही सीटों पर अभी वर्तमान में बाजपा का कब्जा रहा है. इन दोनों सीटों का गठन परिसीमन के बाद 2009 में हुआ.
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Lok Sabha Election 2024 East Champaran Seat: बिहार के दो लोकसभा सीट जिनका भौगोलिक और सामाजिक तानाबाना एक सा है. बस हिस्से दो एक पूर्वू चंपारण और दूसरा पश्चिमी चंपारण. दोनों ही सीटों पर अभी वर्तमान में बाजपा का कब्जा रहा है. इन दोनों सीटों का गठन परिसीमन के बाद 2009 में हुआ. बता दें कि दोनों सीटों पर तीन बार लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 में हुए हैं और यहां दोनों ही सीटों पर तीनों बार भाजपा ने अपना दम दिखाया है.
छह विधानसभा सीट हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मोतिहारी वाले इस सीट को पहले मोतिहारी लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था. अब इसे पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट कहा जाता है. यहां से भाजपा के दिग्गज नेता राधा मोहन सिंह लगातार तीन बार से भाजपा के टिकट पर लोकसभा तक पहुंचे हैं. यह वही पूर्वी चंपारण है जहां से अंग्रेजों के खिलाफ किसानों ने नील की खेती के विरोध में आंदोलन किया था, महात्मा गांधी के कदम यहां पड़े थे.
2008 में परिसीमन के बाद मोतिहारी से पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट वजूद में आया. इस सीट पर तब से लगातार पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री रहे राधा मोहन सिंह का दबदबा रहा. इस सीट के परिसीमन के बाद से वह तीन बार और इसके पहले तीन बार मतलब कुल 6 बार यहां से सांसद रहे हैं.
यहां मोतिहारी सीट पर 1952 से 72 तक लगातार कांग्रेस ही जीत दर्ज करती आई. इसके बाद यहां से 1977 में पहली बार जनता पार्टी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली. इस सीट पर समय-समय पर चुनावी गणित बदलता रहा. कभी भाकपा तो कभी राजद लेकिन दबदबा राधामोहन सिंह ने भी बरकरार रखा. वह हारे फिर जीते और अब तो वह लगातार जीतकर संसद पहुच रहे हैं. यह लगातार उनकी तीसरी जीत रही है.
इस लोकसभा सीट पर 16 लाख से ज्यादा वोटर हैं जिसमें से 8.5 लाख के करीब पुरुष और 7.5 लाख के करीब महिला मतदाता शामिल हैं. ऐसे में इस सीट पर महिला वोटरों का भी अच्छा खासा दबदबा रहा है. ये मतदाता किसी भी पार्टी के उम्मीदवार के किस्मत का फैसला अपने मत से करते हैं.