ऑफिस ऑफ प्राॉफिट के मामले में नेताओं के फंसने का यह कोई पहला मामला नहीं है, ऐसे मामले पूर्व में भी आए हैं और एक मामले में तो हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के खिलाफ भी फैसला आ चुका है.
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रांची : झारखंड की राजनीति में जारी घमासान अभी थमा नहीं है. इसके पीछे की वजह साफ है कि अभी तक इस मामले में चुनाव आयोग के द्वारा भेजे गए बंद लिफाफे की खबर राजभवन से बाहर नहीं आ पाई है. ऐसे में अभी तो बस यही सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में उनकी विधायकी रद्द करने का फैसला आ सकता है. जबकि सूत्रों की मानें तो उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाए जाने की संभावना कम है. ऐसे में पार्टी फैसले के बाद किसी और चेहरे को सीएम बना सकती है और अयोग्य घोषित हेमंत सोरेन फिर से विधायकी का चुनाव जीतकर सदन में आ सकते हैं.
बता दें कि झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस गुरुवार दोपहर जब से दिल्ली से रांची लौटे तो तब से सबकी निगाहें राजभवन में रखे उस लिफाफे के अंदर लिखे फैसले पर टिकी है. अभी तक केवल कयास ही लगाए जा रहे हैं लेकिन राजभवन की तरफ से अभी तक आदेश का केवल इंतजार किया जा रहा है. ऐसे में आपको बता दें कि ऑफिस ऑफ प्राॉफिट के मामले में नेताओं के फंसने का यह कोई पहला मामला नहीं है, ऐसे मामले पूर्व में भी आए हैं और एक मामले में तो हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के खिलाफ भी फैसला आ चुका है.
सोनिया गांधी पर भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में हुई थी कार्रवाई
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला आ चुका है. वह साल था 2008 जब सरकार यूपीए की केंद्र में थी और सोनिया गांधी ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में दोषी पाई गई थीं. बता दें कि उस समय सोनिया गांधी रायबरेली सीट से सांसद थी और साथ ही वह यूपीए सरकार में गठित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष भी थीं. ऐसे में आरोप था एक ही साथ सोनिया गांधी सांसद के तौर पर मिलने वाले सरकारी लाभ के साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष को मिलने वाले सरकारी लाभ को भी ले रही थीं. भाजपा ने इसको लेकर खूब हंगामा किया था और चुनाव आयोग ने जांच कर इस मामले में सोनिया गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी. इसके बाद वह दोबारा रायबरेली से उपचुनाव लड़ीं और जीतकर संसद पहुंची थीं.
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में फंस चुके हैं शिबू सोरेन
जिस ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में अभी जारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की कुर्सी फंसी पड़ी है. ऐसा ही मामला उनके पिता शिबू सोरेने के साथ भी हो चुका है. साल 2001 में शिबू सोरेन पर यह आरोप लगा कि उन्होंने राज्यसभा चुनाव में खुद के लाभ के पद पर होने की बात छुपाई. बता दें कि शिबू सोरेन उस समय झारखंड क्षेत्र स्वायत परिषद के अध्यक्ष के तौर पर काबिज थे. इसके बाद जब आरोप लगा तो शिबू सोरेन सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए लेकिन उन्हें यहां से राहत नहीं मिली, इसके बाद उन्होंने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया था.
इसी मामले में जया बच्चन भी दे चुकी हैं इस्तीफा
अभिनेत्री और सपा से राज्यसभा सांसद जया बच्चन पर 2006 में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का आरोप लगा था. उस समय जया बच्चन उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम का चेयरमैन पद भी संभाल रही थीं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट पहुंची जया बच्चन पर चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखा गया था और उनकी राज्यसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
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बता दें कि साल 2015 में यूपी के दो विधायकों की विधायकी भी लाभ का पद मामले में जा चुकी है. इसमें से एक भाजपा के विधायक बजरंग बहादुर सिंह और दूसरे बीएसपी के विधायक उमा शंकर सिंह शामिल थे.