राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अखिलेश प्रसाद और भक्त चरण दास के बीच पटरी नहीं खा रही है. केंद्रीय नेतृत्व हमेशा से ही इस खाई को पाटने की कोशिश करता रहा है, लेकिन इसमें वह सफल होता नहीं दिख रहा है.
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Bihar Congress Crisis: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. चुनाव को लेकर सभी दल अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं, तो वहीं कांग्रेस अपने अंतर्कलह से जूझ रही है. इस बीच बिहार में भी पार्टी नेताओं का मतभेद एकबार जनता के सामने आ गया है. प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और भक्त चतरण दास के बीच इन दिनों जबरदस्त मनमुटाव देखने को मिल रहा है.
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अखिलेश प्रसाद और भक्त चरण दास के बीच पटरी नहीं खा रही है. केंद्रीय नेतृत्व हमेशा से ही इस खाई को पाटने की कोशिश करता रहा है, लेकिन इसमें वह सफल होता नहीं दिख रहा है. कांग्रेस की ओर से हाल ही में दानापुर के लोदीपुर में 'हाथ से हाथ जोड़ो' कार्यक्रम रखा गया था. इस दौरान ही कांग्रेसी कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए थे. मौके पर अखिलेश प्रसाद और भक्त चरण दास भी मौजूद थे.
बिना सिपाहियों के लड़ेंगे प्रदेश अध्यक्ष?
बिहार में अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बने हुए तकरीबन 6 महीनों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक वह अपनी सेना नहीं तैयार कर पाए है. मतलब बिहार में अभी तक न प्रदेश उपाध्यक्ष, न मंत्री और ना ही महासचिव समेत संगठन के अन्य पदों पर किसी की नियुक्ति हो सकी है. अखिलेश प्रसाद सिंह के साथ ही ऐसा नहीं हो रहा है. उनसे पहले मदनमोहन झा भी बिना सिपाहियों के 4 वर्षों के लिए प्रदेश की कमान संभाल चुके हैं.
क्यों नहीं तैयार हो रही सेना?
इसका सबसे बड़ा कारण है पार्टी का अंतर्कलह. पार्टी के नेता विरोधियों से लड़ने के बजाय अपनों से ही लड़ने में लगे हैं. अंदर ही अंदर एक गुट दुसरे गुट को परास्त करने की कोशिश में लगा है. प्रदेश अध्यक्ष और भक्तचरण दास के बीच पट नहीं रही. कभी मामला अखिलेश सिंह की सूची पर तो कभी भक्त चरण दास की सूची पर अटकता जाता है.